बादशाह
आलमगीर द्वितीय ने महाराजा सूरजमल के बारे में अब्दाली को लिखा था - जाट
जाति जो भारत में रहती है, वह और उसका राजा इतना शक्तिशाली हो गया है कि
उसकी खुली खुलती है और बंधी बंधती है । 41. कर्नल अल्कोट - हमें यह कहने का
अधिकार है कि 4000 ईसा पूर्व भारत से आने वाले जाटों ने ही मिश्र (इजिप्ट)
का निर्माण किया । 42. यूरोपीयन इतिहासकार मि० टसीटस ने लिखा है - जर्मन
लोगों को प्रातः उठकर स्नान करने की आदत जाटों ने डाली । घोड़ों की पूजा भी
जाटों ने स्थानीय जर्मन लोगों को सिखलाई । घोड़ों की सवारी जाटों की
मनपसंद सवारी है । 43. तैमूर लंग - घोड़े के बगैर जाट, बगैर शक्ति का हो
जाता है । (हमें याद है आज से लगभग 50 वर्ष पहले तक हर गाँव में अनेक घोडे,
घोड़ियाँ जाटों के घरों में होती थीं । अब भी पंजाब व हरयाणा में जाटों के
अपने घोड़े पालने के फार्म हैं - लेखक) 44. भारतीय सेना के ले० जनरल के.
पी. कैण्डेय ने सन् 1971 के युद्ध के बाद कहा था - अगर जाट न होते तो
फाजिल्का का भारत के मानचित्र में नामोनिशान न रहता । 45. इसी लड़ाई (सन्
1971) के बाद एक पाकिस्तानी मेजर जनरल ने कहा था - चौथी जाट बटालियन का
आक्रमण भयंकर था जिसे रोकना उसकी सेना के बस की बात नहीं रही । (पूर्व
कप्तान हवासिंह डागर गांव कमोद जिला भिवानी (हरयाणा) जो 4 बटालियन की इस
लड़ाई में थे, ने बतलाया कि लड़ाई से पहले बटालियन कमाण्डर ने भरतपुर के
जाटों का इतिहास दोहराया था जिसमें जाट मुगलों का सिहांसन और लाल किले के
किवाड़ तक उखाड़ ले गये थे । पाकिस्तानी अफसर मेजर जनरल मुकीम खान
पाकिस्तानी दसवें डिवीजन के कमांडर थे ।) 46. भूतपूर्व राष्ट्रपति जाकिर
हुसैन ने जाट सेण्टर बरेली में भाषण दिया - जाटों का इतिहास भारत का इतिहास
है और जाट रेजिमेंट का इतिहास भारतीय सेना का इतिहास है । पश्चिम में
फ्रांस से पूर्व में चीन तक ‘जाट बलवान्-जय भगवान्’ का रणघोष गूंजता रहा है
। 47. विख्यात पत्रकार खुशवन्तसिंह ने लिखा है - (i) "The Jat was born
worker and warrior. He tilled his land with his sword girded round his
waist. He fought more battles for the defence for his homestead than
other Khashtriyas" अर्थात् जाट जन्म से ही कर्मयोगी तथा लड़ाकू रहा है जो
हल चलाते समय अपनी कमर से तलवार बांध कर रखता था। किसी भी अन्य क्षत्रिय से
उसने मातृभूमि की ज्यादा रक्षा की है । (ii) पंचायती संस्था जाटों की देन
है और हर जाटों का गांव एक छोटा गणतन्त्र है । 48. जब 25 दिसम्बर 1763 को
जाट प्रतापी राजा सूरजमल शाहदरा में धोखे से मारे गये तो मुगलों को विश्वास
ही नहीं हुआ और बादशाह शाहआलम द्वितीय ने कहा - जाट मरा तब जानिये जब
तेरहवीं हो जाये । (यह बात विद्वान् कुर्क ने भी कही थी ।) 49. टी.वी
History Channel ने एक दिन द्वितीय विश्वयुद्ध के इतिहास को दोहराते हुए
दिखलाया था कि जब सन् 1943 में फ्रांस पर जर्मनी का कब्जा था तो जुलाई 1943
में सहयोगी सेनाओं ने फ्रांस में जर्मन सेना पर जबरदस्त हमला बोल दिया तो
जर्मन सेना के पैर उखड़ने लगे । एक जर्मन एरिया कमांडर ने अपने सैट से अपने
बड़े अधिकारी को यह संदेश भेजा कि ज्यादा से ज्यादा गुट्ठा सैनिकों की
टुकड़ियाँ भेजो । जब उसे यह मदद नहीं मिली तो वह अपनी गिरफ्तारी के डर में
स्वास्तिक निशानवाले झण्डे को सेल्यूट करके स्वयं को गोली मार लेता है ।
याद रहे जर्मनी में जाटों को गुट्टा के उच्चारण से ही बोला जाता है । -
(लेखक) 50. एक बार अलाउद्दीन ने देहली के कोतवाल से कहा था - इन जाटों को
नहीं छेड़ना चाहिए । ये बहादुर लोग ततैये के छत्ते की तरह हैं, एक बार
छिड़ने पर पीछा नहीं छोड़ते हैं । 51. इतिहासकार मो० इलियट ने लिखा है -
जाट वीर जाति सदैव से एकतंत्री शासन सत्ता की विरोधी रही है तथा ये
प्रजातंत्री हैं । 52. संत कवि गरीबदास - जाट सोई पांचों झटकै, खासी मन
ज्यों निशदिन अटकै । (जो पाँचों इन्द्रियों का दमन करके, बुरे संकल्पों से
दूर रहकर भक्ति करे, वास्तव में जाट है । 53. महान् इतिहासकार कालिकारंजन
कानूनगो - (क) एक जाट वही करता है जो वह ठीक समझता है । (इसी कारण जाट
अधिकारियों को अपने उच्च अधिकारियों से अनबन का सामना करना पड़ता है -
लेखक) (ख) जाट एक ऐसी जाति है जो इतनी अधिक व्यापक और संख्या की दृष्टि से
इतनी अधिक है कि उसे एक राष्ट्र की संज्ञा प्रदान की जा सकती है । (ग)
ऐतिहासिक काल से जाट बिरादरी हिन्दू समाज के अत्याचारों से भागकर निकलने
वाले लोगों को शरण देती आई, उसने दलितों और अछूतों को ऊपर उठाया है । उनको
समाज में सम्मानित स्थान प्रदान कराया है। (लेकिन ब्राह्मणवाद तो यह प्रचार
करता रहा कि शूद्र वर्ग का शोषण जाटों ने किया - लेखक) (घ) हिन्दुओं की
तीनों बड़ी जातियों में जाट कौम वर्तमान में सबसे बेहतर पुराने आर्य हैं।
54. महान् इतिहासकार ठाकुर देशराज - जाटों को मुगलों ने परखा, पठानों ने
इनकी चासनी ली, अंग्रेजों ने पैंतरे देखे और इन्होंने फ्रांस एवं जर्मनी की
भूमि पर बाहदुरी दिखाकर सिद्ध किया कि जाट महान् क्षत्रिय हैं । 55. पं०
इन्द्र विद्यावाचस्पति- जाटों को प्रेम से वश में करना जैसा सरल है, आँख
दिखाकर दबाना उतना ही कठिन है । 56. कवि शिवकुमार प्रेमी - जाट जाट को
मारता यही है भारी खोट || ये सारे मिल जायें तो अजेय इनका कोट || (कोट का
अर्थ किला) इसीलिए तो कहा जाता है - जाटड़ा और काटड़ा अपने को मारता है ।
(लेखक) 57. विद्वान् विलियम क्रूक - (i) जाट विभिन्न धार्मिक संगठनों व
मतों के अनुयायी होने पर भी जातीय अभिमान से ओतप्रोत हैं । भूमि के सफल
जोता, क्रान्तिकारी, मेहनती जमीदार तथा युद्ध योद्धा हैं । (इसीलिए तो
जाटों या जट्टों के लड़के अपनी गाड़ियों के पीछे लिखवाते हैं - ‘जट्ट दी
गड्डी’, ‘जाट की सवारी’ ‘जहाँ जाट वहाँ ठाठ’, ‘जाट के ठाठ’ तथा ‘Jat Boy’
आदि-आदि - लेखक । (ii) स्पेन, गाल, जटलैण्ड, स्काटलैण्ड और रोम पर जाटों ने
फतेह कर बस्तियां बसाई । 58. विद्वान् ए.एच. बिगले - जाट शब्द की व्याख्या
करने की आवश्यकता नहीं है । यह ऋग्वेद, पुराण और मनुस्मृति आदि अत्यन्त
प्राचीन ग्रन्थों से स्वतः सिद्ध है । यह तो वह वृक्ष है जिससे समय-समय पर
जातियों की उत्पनि हुई । 59. विद्वान् कनिंघम - प्रायः देखा गया है कि जाट
के मुकाबले राजपूत विलासप्रिय, भूस्वामी गुजर और मीणा सुस्त अथवा गरीब,
कास्तकार तथा पशुपालन के स्वाभाविक शोकीन, पशु चराने में सिद्धहस्त हैं,
जबकि जाट मेहनती जमीदार तथा पशुपालक हैं । 60. विख्यात इतिहासकार यदुनाथ
सरकार - जाट समाज में जाटनियां परिश्रम करना अपना राष्ट्रीय धर्म समझती
हैं, इसलिए वे सदैव जाटों के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर कार्य करती हैं ।
वे आलसी जीवन के प्रति मोह नहीं रखती । 61. प्राचीन इतिहासकार मनूची -
जाटनियां राजनैतिक रंगमंच पर समान रूप से उत्तरदायित्व निभाती हैं । खेत
में व रणक्षेत्र में अपने पति का साथ देती हैं और आपातकाल के समय अपने धर्म
की रक्षा में प्रोणोर्त्सग (प्राणत्याग) करना अपना पवित्र धर्म समझती हैं ।
62. जैक्मो फ्रांसी इतिहासकार व यात्री लिखता है – महाराजा रणजीतसिंह पहला
भारतीय है जो जिज्ञासावृत्ति में सम्पूर्ण राजाओं से बढ़ाचढ़ा है । वह
इतना बड़ा जिज्ञासु कहा जाना चाहिए कि मानो अपनी सम्पूर्ण जाति की उदासीनता
को वह पूरा करता है । वह असीम साहसी शूरवीर है । उसकी बातचीत से सदा भय सा
लगता है। उन्होंने अपनी किसी विजययात्रा में कहीं भी निर्दयता का व्यवहार
नहीं किया । 63. यूरोपीय यात्री प्रिन्सेप - एक अकले आदमी द्वारा इतना
विशाल राज्य इतने कम अत्याचारों से कभी स्थापित नहीं किया गया । अद्भुत
वीरता, धीरता, शूरता में समकालीन सभी भारतीय नरेशों के शिरमौर थे । दूसरे
शब्दों में पंजाबकेसरी महाराजा रणजीतसिंह भारत का नैपोलियन था। 64. महान्
इतिहासकार उपेन्द्रनाथ शर्मा - जाट जाति करोड़ों की संख्या में प्रगितिशील
उत्पादक और राष्ट्ररक्षक सैनिक के रूप में विशाल भूखण्ड पर बसी हुई है।
इनकी उत्पदाक भूमि स्वयं एक विशाल राष्ट्र का प्रतीक है । 65. विद्वान् सर
डारलिंग - ‘‘सारे भारत में जाटों से अच्छी ऐसी कोई जाति नहीं है जिसके
सदस्य एक साथ कर्मठ किसान और जीवंत जवान हों।’’ 66. महान् इतिहासकार सर
हर्बट रिसले - जाट और राजपूत ही वैदिक आर्यों के वास्तविक उत्तराधिकारी हैं
।67. फील्ड मार्शल माउंट गुमरी - “Jat is true soldier. I will be happy
to die with dignity amongst Jats Regt. My soul will be bless with
peace.” अर्थात् ‘‘जाट एक सच्चा सैनिक है । मुझे खुशी होगी यदि मैं जाटों
के बीच रहकर इज्जत से मर जांऊ ताकि मेरी आत्मा को शान्ति मिल सके ।” 68.
अंग्रेज प्रमुख जनरल ओचिनलैक (बाद में फील्ड मार्शल) - ‘‘If things looked
back and danger threatened I would ask nothing better than to have Jats
beside me in the face of the enemy” अर्थात “हालात बिगड़ते हैं और खतरा
आता है तो जाटों को साथ रखने से बेहतर और कुछ नहीं होगा ताकि मैं दुश्मन से
लड़ सकूं ।” 69. क्रान्तिदर्शी राजा महेन्द्रप्रताप - “हमारी जाति बहादुर
है । देश के लिए समर्पित कौम है । चाहे खेत हो या सीमा । धरतीपुत्र जाटों
पर मुझे नाज़ है ।”
Courtsey :: Hema Ram Bhakar Choudhary
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