जब दियोँ की जगह जल रहा खेत हमारा,
जब अर्थियोँ पर पड़ा हो भाई चारा,
जो थे भाई वो बने कसाई,
प्यार नाम की ना परछाई,
जब रो रहे हो भाई हमारे,
तो फिर बता 'अभिषेक लाकड़ा'
ये ??
जब चल रही है आँधी नफरत की,
आज दीये को किस तरह जलाऊँ??
तुम ही बताओ दोस्तो ,
ये दिवाली कैसे मनाऊँ??
ये दिवाली कैसे मनाऊँ??
ये दिवाली कैसे मनाऊँ??
अभिषेक लाकड़ा
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