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Friday, November 8, 2013

डबास गोत्र के बारे मे कुछ जानकारी



यह डबास गोत्र दहिया जाट गोत्र की शाखा है। दोनों गोत्रों का भाईचारा है इसीलिए दोनों के आपस में रिश्ते-नाते नहीं होते। इन दोनों गोत्रों के जाट विदेशों में तथा भारत में साथ-साथ रहे हैं। आज भी ये दोनों गोत्र साथ-साथ आबाद हैं।

डबास जाट छठी शताब्दी ईस्वी पूर्व कैस्पियन सागर के दक्षिण-पूर्व में बसे हुए थे। इनके साथ-साथ दहिया जाट भी उसी क्षेत्र में आबाद थे जिनके नाम पर यह सागर दधी सागर कहलाया था। यूनान के प्रसिद्ध इतिहासकार हेरोडोटस ने अपनी भाषा में डबासों का नाम डरबिस (Derbice) लिखा है। सीथिया देश (मध्य एशिया) का एक प्रांत मस्सागेटाई जाटों का एक छोटा तथा शक्तिशाली राज्य था जिसकी रानी तोमरिस थी। 529 ई० पू० में इस रानी की जाट सेना का युद्ध महान् शक्तिशाली सम्राट् साईरस से हुआ था। इस युद्ध में सम्राट् साईरस मारा गया और जाट महारानी तोमरिस विजयी रही। इस युद्ध में दहिया/डबास जाट महारानी की ओर से साईरस के विरुद्ध लड़े थे। (देखो चतुर्थ अध्याय, जाट महारानी तोमरिस का सम्राट् साईरस से युद्ध प्रकरण)

जब दहिया जाटों का राजस्थान में राज्य समाप्त हो गया तब ये लोग डबास जाटों के साथ हरयाणा में जि० रोहतक व सोनीपत में आकर आबाद हो गये। डबास जाटों के गांव निम्न प्रकार से आबाद हैं -

दिल्ली प्रान्त में सोनीपत तहसील की सीमा के निकट कंझावला डबास खाप का प्रधान गांव है। रसूलपुर, सुलतानपुर, पूंठ, घेवरा, रानीखेड़ा, मारगपुर, लाडपुर, मदनपुर, चांदपुर, माजरा डबास, बड़वाला आदि गांव डबास जाटों के हैं।

इधर से ही निकास प्राप्त करके डबास जाट जिला बिजनौर में आकर बसे। इस जिले में पीपली, डबासोंवाला, सिकैड़ा, पाड़ली, लाम्बाखेड़ा (कुछ घर), मण्डावली, मुजफरा, झिलमिला और नगीना आदि डबास जाटों के गांव हैं।

दिल्ली में गाँव रानीखेड़ा,मुबारकपुर मदनपुर, रसूलपुर, सुल्तानपुर डबास ,कंझावला ,लाडपुर ,पूठ खुर्द ,बरवाला ,माजरा डबास ,चांदपुर ,घेवरा,गालिबपुर ,जाट खोर

झज्जर में गाँव
गिरावर ,मोहम्मदपुर माजरा,कुलताणा

हिसार में बुडाना,शेखपुरा

राजस्थान में अलवर जिले में भानोत,सराय कलां,टोडरपुर
 
साभार :
सुनील दहिया

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