Visitor

Friday, January 20, 2017

ज़ालिम ज़माना

बड़ा       ज़ालिम    है    ज़माना
नहीं है इस बात से कोई भी अनजाना

मदहोश हैं  सभी इस मयखाने  में
होश में भी कह देते बाते अनजाने  में

भाई को भाई चूतड़ो  पर गोली मारने को तैयार
जिनसे लेना देना नहीं उन्हें बनाएं राखै  यार

बकरों  की औलाद को घी का रखवाला बना बैठे
अपनों का ही सुख तबियत से ऐंठे

नाना तरतीब निकाली इस संसार में
अपने  आप उलझ गए जंजाल में


अब समय का खेल देखो 

माँ   बाप   होते   फिरे   दुखी
                            एक गाड़ी  बालक ज़ाम राखै
आगे वह औलाद रह पायेगी सुखी
                            खिड़की से बूढ़ा  बूढ़ी  झाँके
पहले   पाले  खा  के  रूखी सूखी
                             अब तरकारी पड़ी ही बांसे
हर्ज़ मर्ज़ ओट  की आन बान  रखी
                             छोटी सी आफ़त  से हांफै
'हरपाल' पूली  आँधी  तै  बचा की राखी
                             फुसका ने ठान मैं खाँसे।






No comments:

Post a Comment