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Monday, February 13, 2017

पहचान

मॉम की मूर्ती भी उन्ही की होती
संसार में अद्भुत होती
अपनी पहचान विशिष्ठ बनाई होती
रब की शफी  उन्ही पे न्योछावर होती

ज़माने के साथ  पहचान होती
हिम्मत सबको साथ ले चलने की होती
ज़ुल्मो हयात को पछाड़ने की होती
अपनों की टोली होती 

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