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Tuesday, February 14, 2017

बेलन ठान दे

बेलन ठान दे 


आज छोरे छोरियां  के हो रहा स। जमा औड़  आ गया।
आज़  बेलन ठान दे  स - कन  ते जाँदी  छोरी बोली।
के कही छोरी बेलन ठान दे
मेरा काका भी परेन  न बेलन  ठान दे मनवाँ  रहा स

पुते न आवन द  घरा
 घरां तो ठाव  कोणी
आज मैं ठाऊँगी  बेलन  खुवांगी मैं काकड़ी 

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