बेलन ठान दे
आज छोरे छोरियां के हो रहा स। जमा औड़ आ गया।
आज़ बेलन ठान दे स - कन ते जाँदी छोरी बोली।
के कही छोरी बेलन ठान दे
मेरा काका भी परेन न बेलन ठान दे मनवाँ रहा स
पुते न आवन द घरा
घरां तो ठाव कोणी
आज मैं ठाऊँगी बेलन खुवांगी मैं काकड़ी
आज छोरे छोरियां के हो रहा स। जमा औड़ आ गया।
आज़ बेलन ठान दे स - कन ते जाँदी छोरी बोली।
के कही छोरी बेलन ठान दे
मेरा काका भी परेन न बेलन ठान दे मनवाँ रहा स
पुते न आवन द घरा
घरां तो ठाव कोणी
आज मैं ठाऊँगी बेलन खुवांगी मैं काकड़ी
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