गूर
जाट को ऐसा गुर दो
बात को आसानी से समझ ले जो
झोटा ऊँट का पुछड़ पकडे फिरे
ग़लत बातों से घिरा रे
कौम में जलन का बीज उपज़ा
द्वेष भाव का पौधा निपज़ा
बारूद के तरह उबलता फीरे
झूठी मर्यादा से ह घिरे
जाट को 'हरपाल ' ऐसा गुर दो
बात को आसानी से समाज ले जो
जाट को ऐसा गुर दो
बात को आसानी से समझ ले जो
झोटा ऊँट का पुछड़ पकडे फिरे
ग़लत बातों से घिरा रे
कौम में जलन का बीज उपज़ा
द्वेष भाव का पौधा निपज़ा
बारूद के तरह उबलता फीरे
झूठी मर्यादा से ह घिरे
जाट को 'हरपाल ' ऐसा गुर दो
बात को आसानी से समाज ले जो
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