Visitor

Wednesday, February 8, 2017

अडिग

अडिग 

जाट का किया सदा खात्मा
रोटी नहीं फिर भी प्रबल  उनकी आत्मा
फिर भी देख रहा परमात्मा
जाट होता दयालु धर्मात्मा
सताता नहीं यह जीवात्मा

आछी  लागे "हरपाल "   इसे धरती माँ
करता  यह  भोजन  धूल  मिट्टी माहैं
म्हणत करता फल की परवाह करता कहाँ
बात से न मुड़े चाहे लग जाए जहाँ
खूब पसीना बहाए  बना रहे सदा जवां।



©  निर्मल खज़ाना


No comments:

Post a Comment