अडिग
जाट का किया सदा खात्मा
रोटी नहीं फिर भी प्रबल उनकी आत्मा
फिर भी देख रहा परमात्मा
जाट होता दयालु धर्मात्मा
सताता नहीं यह जीवात्मा
आछी लागे "हरपाल " इसे धरती माँ
करता यह भोजन धूल मिट्टी माहैं
म्हणत करता फल की परवाह करता कहाँ
बात से न मुड़े चाहे लग जाए जहाँ
खूब पसीना बहाए बना रहे सदा जवां।
© निर्मल खज़ाना
जाट का किया सदा खात्मा
रोटी नहीं फिर भी प्रबल उनकी आत्मा
फिर भी देख रहा परमात्मा
जाट होता दयालु धर्मात्मा
सताता नहीं यह जीवात्मा
आछी लागे "हरपाल " इसे धरती माँ
करता यह भोजन धूल मिट्टी माहैं
म्हणत करता फल की परवाह करता कहाँ
बात से न मुड़े चाहे लग जाए जहाँ
खूब पसीना बहाए बना रहे सदा जवां।
© निर्मल खज़ाना
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