कपड़े हो गये है छोटे , शर्म कहाँ से होगी ।
अनाज हो गया हाइब्रिड , स्वाद कहां से होगा ॥
नेता हो गये कुर्सी के , देश भावना कहां से होगी ।
फूल हो गये प्लास्टिक के , खूशबू कहां से होगी ॥
चेहरे हो गये मेकअप के , रूप कहां से होगा ।
अध्यापक हो गये ट्यूशन के , विद्या कहां से होगी ॥
खाना हो गया डालडा का , ताकत कहां से होगी ।
प्रोग्राम हो गये केबल के , संस्कार कहाँ से होगे ॥
आदमी हो गया पैसों का , दया कहाँ से होगी ।
भक्त हो गये स्वार्थ के , ईश्वर कहां से होगा ॥
व्यापार हो गया हेराफेरी का , मुनाफा कहाँ से होगा ।
व्यवहार हो गये टेलीफोन के , शर्म कहां से होगी ॥
Courtsey:: Rahul pehowa
अनाज हो गया हाइब्रिड , स्वाद कहां से होगा ॥
नेता हो गये कुर्सी के , देश भावना कहां से होगी ।
फूल हो गये प्लास्टिक के , खूशबू कहां से होगी ॥
चेहरे हो गये मेकअप के , रूप कहां से होगा ।
अध्यापक हो गये ट्यूशन के , विद्या कहां से होगी ॥
खाना हो गया डालडा का , ताकत कहां से होगी ।
प्रोग्राम हो गये केबल के , संस्कार कहाँ से होगे ॥
आदमी हो गया पैसों का , दया कहाँ से होगी ।
भक्त हो गये स्वार्थ के , ईश्वर कहां से होगा ॥
व्यापार हो गया हेराफेरी का , मुनाफा कहाँ से होगा ।
व्यवहार हो गये टेलीफोन के , शर्म कहां से होगी ॥
Courtsey:: Rahul pehowa
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