Visitor

Tuesday, October 15, 2013

जाट और उसका स्वाभिमान

सन 1983 में केंद्र की कांग्रेस सरकार में गृह-राज्य मंत्री थे योगेन्द्र मकवाना(जो की दलित समाज से सम्बन्ध रखते थे ) ..एक बार उसने सब जिलाधिकारियों(जिसे डी.एम या डी.सी. या उपायुक्त भी कहते है ) की बैठक बुलाई .उस बैठक में सब नेताओं और अफसरों के सामने उसने जाटों के बारे में काफी गलत शब्द बोल दिए ....उस बैठक में हरयाणा के जींद जिले के जिलाधिकारी श्री प्रताप सिंह(जो की जाट बिरादरी से ताल्लुक रखते थे और अत्यंत ही साफ़ और स्वाभिमानी छवि के व्यक्ति थे) भी आये थे.जैसे ही मंत्री ने जाटों के बारे में गलत शब्द बोले,प्रताप सिंह उठे और एक जोर का तमाचा मंत्री के गाल पे दे मारा.थप्पड़ की आवाज ने सारे माहौल को कुछ देर के लिए शांत बना दिया........मामले पे जांच बैठी,सब आई.ए.एस अफसर एक तरफ हो गए,सरकार कुछ नहीं बिगाड़ पायी..........काफी दिनों तक मीडिया ने ,अखबारों ने ,पत्रिकाओं ने और दूरदर्शन(जो की उस समय नया-नया चला था)ने इस मुद्दे को खूब उछाला,मगर उस जाट अफसर का बाल तक बांका नहीं हुआ......ये है जाट और उसका स्वाभिमान!
 
 
Courtsey::  Joginder Dhaka

No comments:

Post a Comment