क्यों ?
स्वयं को महान् कहने से कोई महान् नहीं बनता । महान् किसी भी व्यक्ति व
कौम को उसके महान् कारनामे बनाते हैं और उन कारनामों को दूसरे लोगों को
देर-सवेर स्वीकार करना ही पड़ता है। देव-संहिता को लिखने वाला कोई जाट नहीं
था, बल्कि एक ब्राह्मणवादी था जिसके हृदय में इन्सानियत थी उसने इस सच्चाई
को अपने हृदय की गहराई से शंकर और पार्वती के संवाद के रूप में बयान किया
कि जब पार्वती ने शंकर जी से पूछा कि ये जाट कौन हैं, तो शंकर जी ने इसका
उत्तर इस प्रकार दिया -
महाबला महावीर्या महासत्यपराक्रमाः |
सर्वांगे क्षत्रिया जट्टा देवकल्पा दृढ़व्रताः ||15||
(देव संहिता)
अर्थात् - जाट महाबली, अत्यन्त वीर्यवान् और प्रचण्ड पराक्रमी हैं । सभी
क्षत्रियों में यही जाति सबसे पहले पृथ्वी पर शासक हुई । ये देवताओं की
भांति दृढ़ निश्चयवाले हैं । इसके अतिरिक्त विदेशी व स्वदेशी विद्वानों व
महान् कहलाए जाने वाले महापुरुषों की जाट कौम के प्रति समय-समय पर दी गई
अपनी राय और टिप्पणियां हैं जिन्हें कई पुस्तकों से संग्रह किया गया है
लेकिन अधिकतर टिप्पणियां अंग्रेजी की पुस्तक हिस्ट्री एण्ड स्टडी ऑफ दी
जाट्स से ली गई है जो कनाडावासी प्रो० बी.एस. ढ़िल्लों ने विदेशी
पुस्तकालयों की सहायता लेकर लिखी है -
1. इतिहासकार मिस्टर स्मिथ -
राजा जयपाल एक महान् जाट राजा थे । इन्हीं का बेटा आनन्दपाल हुआ जिनके
बेटे सुखपाल राजा हुए जिन्होंने मुस्लिम धर्म अपनाया और ‘नवासशाह’ कहलाये ।
(यही शाह मुस्लिम जाटों में एक पदवी प्रचलित हुई । भटिण्डा व अफगानिस्तान
का शाह राज घराना इन्हीं के वंशज हैं - लेखक) ।
2. बंगला विश्वकोष - पूर्व सिंध देश में जाट गणेर प्रभुत्व थी । अर्थात् सिंध देश में जाटों का राज था ।
3. अरबी ग्रंथ सलासीलातुत तवारिख - भारत के नरेशों में जाट बल्हारा नरेश
सर्वोच्च था । इसी सम्राट् से जाटों में बल्हारा गोत्र प्रचलित हुआ - लेखक ।
4. स्कैंडनेविया की धार्मिक पुस्तक एड्डा - यहां के आदि निवासी जाट (जिट्स) पहले आर्य कहे जाते थे जो असीगढ़ के निवासी थे ।
5. यात्री अल बेरूनी - इतिहासकार - मथुरा में वासुदेव से कंस की बहन से
कृष्ण का जन्म हुआ । यह परिवार जाट था और गाय पालने का कार्य करता था ।
6. लेखक राजा लक्ष्मणसिंह - यह प्रमाणित सत्य है कि भरतपुर के जाट कृष्ण के वंशज हैं ।
इतिहास के संक्षिप्त अध्ययन से मेरा मानना है कि कालान्तर में यादव अपने
को जाट कहलाये जिनमें एकजुट होकर लड़ने और काम करने की प्रवृत्ति थी और
अहीर जाति का एक बड़ा भाग अपने को यादव कहने लगा । आज भी भारत में बहुत
अहीर हैं जो अपने को यादव नहीं मानते और गवालावंशी मानते हैं ।
7.
मिस्टर नैसफिल्ड - The Word Jat is nothing more than modern Hindi
Pronunciation of Yadu or Jadu the tribe in which Krishna was born. ये सबसे बड़ा भौगोलिक और सामाजिक प्रमाण है । (इस सच्चाई को लेखक ने स्वयं वहां जाकर ज्ञात किया ।)
8. इतिहासकार डॉ० रणजीतसिंह - जाट तो उन योद्धाओं के वंशज हैं जो एक हाथ
में रोटी और दूसरे हाथ में शत्रु का खून से सना हुआ मुण्ड थामते रहे ।
9. इतिहासकार डॉ० धर्मचन्द्र विद्यालंकार - आज जाटों का दुर्भाग्य है कि
सारे संसार की संस्कृति को झकझोर कर देने वाले जाट आज अपनी ही संस्कृति को
भूल रहे हैं ।
10. इतिहासकार
डॉ० गिरीशचन्द्र द्विवेदी - मेरा निष्कर्ष है कि जाट संभवतः प्राचीन सिंध
तथा पंजाब के वैदिक वंशज प्रसिद्ध लोकतान्त्रिक लोगों की संतान हैं । ये
लोग महाभारत के युद्ध में भी विख्यात थे और आज भी हैं ।
11.
स्वामी दयानन्द आर्यसमाज के संस्थापक ने जाट को जाट देवता कहकर अपने
प्रसिद्ध ग्रंथ सत्यार्थप्रकाश में सम्बोधन किया है । देवता का अर्थ है
देनेवाला । उन्होंने कहा कि संसार में जाट जैसे पुरुष हों तो ठग रोने लग
जाएं ।
12. प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ तथा हिन्दू विश्वविद्यालय बनारस
के संस्थापक महामहिम मदन मोहन मालवीय ने कहा - जाट जाति हमारे राष्ट्र की
रीढ़ है । भारत माता को इस वीरजाति से बड़ी आशाएँ हैं । भारत का भविष्य जाट
जाति पर निर्भर है ।
13. दीनबन्धु सर छोटूराम ने कहा - हे
ईश्वर, जब भी कभी मुझे दोबारा से इंसान जाति में जन्म दे तो मुझे इसी महान्
जाट जाति के जाट के घर जन्म देना ।
14. मुस्लिमों के पैगम्बर
हजरत मुहम्मद साहब ने कहा - ये बहादुर जाट हवा का रुख देख लड़ाई का रुख पलट
देते हैं । (सलमान सेनापतियों ने भी इनकी खूब प्रतिष्ठा की इसका वर्णन
मुसलमानों की धर्मपुस्तक हदीस में भी है - लेखक) ।
15. हिटलर (जो
स्वयं एक जाट थे), ने कहा - मेरे शरीर में शुद्ध आर्य नस्ल का खून बहता है
। (ये वही जाट थे जो वैदिक संस्कृति के स्वस्तिक चिन्ह को जर्मनी ले
गये थे - लेखक)।
16. कर्नल जेम्स टॉड राजस्थान इतिहास के रचयिता ।
(i): उत्तरी भारत में आज जो जाट किसान खेती करते पाये जाते हैं ये उन्हीं
जाटों के वंशज हैं जिन्होंने एक समय मध्य एशिया और यूरोप को हिलाकर रख दिया
था ।
(ii): राजस्थान में राजपूतों का राज आने से पहले जाटों का राज था ।
(iii): युद्ध के मैदान में जाटों को अंग्रेज पराजित नहीं कर सके ।
(iv): ईसा से 500 वर्ष पूर्व जाटों के नेता ओडिन ने स्कैण्डेनेविया में प्रवेश किया।
(v): एक समय राजपूत जाटों को खिराज (टैक्स) देते थे ।
17. यूनानी इतिहासकार हैरोडोटस ने लिखा है
(i) There was no nation in the world equal to the jats in bravery
provided they had unity अर्थात्- संसार में जाटों जैसा बहादुर कोई नहीं
बशर्ते इनमें एकता हो । (यह इस प्रसिद्ध यूनानी इतिहासकार ने लगभग 2500
वर्ष पूर्व में कहा था । इन दो लाइनों में बहुत कुछ है । पाठक कृपया इसे
फिर एक बार पढें । यह जाटों के लिए मूलमंत्र भी है – लेखक )
(ii) जाट बहादुर रानी तोमरिश ने प्रशिया के महान राजा सायरस को धूल चटाई थी ।
(iii) जाटों ने कभी निहत्थों पर वार नहीं किया ।
साभार :
सोधन सिंह तरार
अफ्रिका
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