जाट कौन है , क्या बला है जाट ?
कभी सोचा है क्यों उसके ऐसे ठाठ ?
जो ज़ुल्मों का सदा विरोधी हो
आदत का ज़रा सा क्रोधी हो
उसी सच्चे मानुष को जो दिल का लाठ
दुनिया उसे कहती है जाट राखे जो ठाठ
जेब में हमेशा न रहे कोडी
खेती भी हो गई थोड़ी
पर पगड़ी ऊँची रहे सदा
ऐब भी पाल ले यदा कदा
इब टेम ज़मा खोटा है
बँटकर चलने में टोटा है
एक मंच एक जाजम ढूँढो
जाट बने सम्राट यह कढो
जाट स्वभाव से ही स्वाधीनता प्रेमी है
जाट के लहू में ही "हरपाल " गर्मी है
उन्हें गुलामी न अपनी आच्छी लागे
ज़िम्मेवारी से कभी दूर न भागे।
हरपाल
कभी सोचा है क्यों उसके ऐसे ठाठ ?
जो ज़ुल्मों का सदा विरोधी हो
आदत का ज़रा सा क्रोधी हो
उसी सच्चे मानुष को जो दिल का लाठ
दुनिया उसे कहती है जाट राखे जो ठाठ
जेब में हमेशा न रहे कोडी
खेती भी हो गई थोड़ी
पर पगड़ी ऊँची रहे सदा
ऐब भी पाल ले यदा कदा
इब टेम ज़मा खोटा है
बँटकर चलने में टोटा है
एक मंच एक जाजम ढूँढो
जाट बने सम्राट यह कढो
जाट स्वभाव से ही स्वाधीनता प्रेमी है
जाट के लहू में ही "हरपाल " गर्मी है
उन्हें गुलामी न अपनी आच्छी लागे
ज़िम्मेवारी से कभी दूर न भागे।
हरपाल
No comments:
Post a Comment