हाल के विधान सभा
में तथाकथित जाट नेताओ ने सीट के लिए पार्टियो को धमकी दी कि अगर टिकट
नहीं दी तो जाट वोट नहीं देंगे। भाई ऐसा मैंडेट आपने समाज से कब लिया जो
हुंकार भर रहे हो। चुनावो में व्यक्तिगत हित साधने के लिए जाट समाज़ को न तो
ढोल बनाओ और न ही ढाल। मानाकी आजकल राजनीती बड़ी दूकान हो गयी जहा से सब
कुछ आवंटित होता है। मगर जो जाट जहा वोट देना चाहते हैं दे लेने दो।
क्यूंकि लोकतान्त्रिक ढांचा भी कोई चीज का यहाँ वजूद है। अगर फतवा ही देना
हो तो नयी आल जाट पार्टी बना दो न। देखते हैं कितने जीत पाते हो। समझदार
सब हो ,इसलिए समाज को वास्तविक मुद्दो पर लेकर आओ। आज हमारे साथी शराब और
जमीन माफिया के नाम से जेन जा रहे हैं गोया कि इनसे बड़ा कोई व्यवसाय ही
नहीं है। धमकी और फतवा इस क्षेत्र के जाटों को दो न। कई पीढ़ियों का भला
हो जायेगा। खर्चीली शादिया ,सामूहिक विवाह , दहेज़ के दानव ,सार्थक रोजगार
सृजन पर समाज को एक करो न। इनका कही उल्लेख नहीं है। जाग जाओ तभी वजूद
रहेगा। सर तो भेड़ो के रेवड़ में भी गिने जाते हैं। आखिर हम तो इंसान है और
जाट कुल में पैदा हुए हैं।
चारो
तरफ बागियों कि बहार आये हुई है। उन बागियों कि जो सत्ता कि मलाई खाने से
चंद कदम पहले रोक दिए गए और उनकी जगह उनके ही भाई बंधू ज्यादा चांदी के
सिक्को का चढ़ावा देकर,रसूख और गलत सलत तथ्यो और मालिश से दावेदार बन गए।
अच्छा हुआ जो इनके करतब जनता के सामने आ गए। दोनों बड़ी पार्टियो के यही
हाल हैं और दम्भियों के चाल , चेहरे और चरित्र सामने है। अब वोटर के हाथ
और विवेक पर है कि वो सही वोट करता है या हमेशा
कि तरह दारु या पैसो में ,जात के कार्ड में खोकर वोट का कचरा करके आता है।
सच्चे बागी तो कामरेड हैं जो सीमित संसाधनो ,तमाम प्रशासनिक बंदिशों
,माफिआ के घोर षडयंत्रो के बावजूद दीवानो कि तरह देश और समाज कि बेहतरी के
लिए ,निडर होकर इंक़लाब का झंडा बुलंद किये हुए हैं। मगर क्या कहु कि ये
रोजगार के झूठे वादे नहीं कर सकते , ट्रान्सफर माफिया कि सेटिंग नहीं जानते
, उद्योग , ठेके ,खानो के टेंडर नहीं दिलवा सकते। रुपये खाकर जुल्म के
खिलाफ संगर्ष बंद नहीं कर सकते तो बोलो फिर कोई इस तरह के लाभ चाहने वाला
चोर ,ठग ,व्यापारी और कर्मचारी कामरेड्स का पक्ष क्यों लेगा ? इसलिए लाल
झंडे के जो भी समर्थक है वो झुझारू विद्यार्थी , मेहनतकश किसान और मजदूर या
सरहद कि रक्षा करने वाले सैनिक ही होंगे न ! इसलिए आप खुद ही सोच लो कि आप
क्या हो , क्या चाहते हो और देश आपके लिए क्या है ? आजादी और इंक़लाब को आप
क्या समझते हैं। भैया संघर्ष करते वक़्त तो मौत ,लट्ठ , भूख और मुकदमे सब
हिस्से आते हैं इसीलिए भगत सिंह ,राजगुरु और सुखदेव और सुभाष हर दिन नहीं
पैदा होते। हां मगर उनसे प्रेरित होकर उनके बताये रास्ते पर जरुर चला जा
सकता है। यह मेरा दृढ विश्वास है जो मेरे तमाम साथियो में भी जस का तस भरा
पड़ा है।
इंक़लाब जिंदाबाद।
साभार :
प्रकाश नवोदयन
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