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Friday, November 15, 2013

जाट बदला जाटपन बदला

अब हम खाट  और हुक्का दोनों छोड़ते जा रहे हैं।

जाट का ही हुक्का बचा था अब तो वोह भी कुण  में ला दिया। काठ का तो गलण लाग रहा सेह भाई।
बूढ़े भी कुण  में ला दिए। इब जाट दूध तो छोडो, चा की जगह पेप्सी  पियावन  लाग  गया अपनी शान समझः  स।दारू विस्की की पार्टी समझ सेँ ,बाकी पार्टी समज  ही  कोनी मेरे बट्टे   केरी। मैं तो याहे  कहूंगा दूध जा डोलु  में गात जा स  भितर  ने। वोह जान ही ना रही।
 किमि  महारा भी ज्ञान बढ़ जा
हुक्का पिनीया ए  कोनी रहया। कौन आग सिलगावे कौन घाले।पासे  आली गोज़ में तै  बीड़ी का बींडडल काड की लिकड़ा सा सिलगा ली। पतंगे कपड़ां ने  फुँक  दी सेह।

आप हमें अपनें विचार भी भेजा करें  हमें अपनी त्रुटि सुधारने में आसानी होगी।

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