रहबरे आज़म दीनबंधू चौधरी छोटू राम एक बहुत ही बड़ी ,हर मेहनतकश इंसान के दिलों में रमे हुवे थे । रहबरे आज़म किसानों के सच्चे मसीहा थे। उन्होंने सर फैजले हुसैन के साथ मिलकर एक राजनीतिक पार्टी बनाई।उस पार्टी का नाम था यूनियनिस्ट पार्टी (जमींदारा लीग), उन्होंने सदा ग़रीब ,दबे हुए , महिला ,बच्चे ,कमज़ोर वर्ग ,मज़दूर तथा ग्रामीण की सदा हिमाकत की। उन्होंने गरीबों को उनकी ज़मीन साहूकारों से वापिस दिलवाई। वे सभी धर्म ,मज़हब ,वर्ग के साझे नेता थे।
सन् 1936 -37 के चुनाव में उनकी पार्टी को 175 में से 120 सीट मिली। संयुक्त पँजाब में 57 % मुस्लिम ,28 % हिन्दू ,13 % सिख ,तथा 2 % ईसाई थे। सर सिकंदर हयात खान तथा मलिक खिज़र हयात टिवाणा का उन्हे सदा सहयोग मिला।
सर सिकंदर हयात खान साहब वज़ीरे आला (प्रीमियर )बने। मलिक खिज़र हयात टिवाणा आख़री प्रीमियर बने जो गढ़ी सांपला , रोहतक में जन्मे थे। दोनों ही मौला जाट थे।
सन् 1947 में भारत और पाकिस्तान बना। साथ ही जाटों का भी बटवारा हो गया। वर्त्तमान में पाकिस्तान के उप प्रधान मंत्री चौधरी परवेज़ इलाही एक जाट हैं। पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रबानी खार भी जाट नस्ल से सम्बन्ध रखती हैं।
अब सोचने वाली बात यह है की चौधरी छोटू राम जी को पाकिस्तान में आज भी बड़ी ईज्ज़त बख्शी जाती है। उनके आज भी जाट मुरीद हैं। ऐसा सुनने में आया है की लाहौर असेंबली में रहबरे आज़म दींन बंधू चौधरी छोटू राम साहब की मूर्ति स्थापित की जायेगी।
सब जाट एक हो जाओ फिर देखो मज़ाल किसकी जो नज़दीक आ जाये।
जय जाट। जाट बलवान।
जाट महान। जाट क़दरदान।
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