जब राजस्थान के राजपूत राजाओं ने अंग्रेजों के विरोध में तलवार नहीं उठाई
तो जोधपुर के राजकवि बांकीदास से नहीं रहा गया और उन्होंने ऐसे गाया -
पूरा जोधड़, उदैपुर, जैपुर, पहूँ थारा खूटा परियाणा।
कायरता से गई आवसी नहीं बाकें आसल किया बखाणा ॥
बजियाँ भलो भरतपुर वालो, गाजै गरज धरज नभ भौम।
पैलां सिर साहब रो पडि़यो, भड उभै नह दीन्हीं भौम ॥
इसका अर्थ है कि - जोधपुर, उदयपुर और जयपुर के मालिको ! तुम्हारा तो वंश ही खत्म हो गया। कायरता से गई भूमि कभी वापिस नहीं आएगी, बांकीदास ने यह सच्चाई वर्णन की है। भरतपुर वाला जाट तो खूब लड़ा। तोपें गरजीं, जिनकी धूम आकाश और पृथ्वी पर छाई। अंग्रेज का सिर काट डाला, लेकिन खड़े-खड़े अपनी भूमि नहीं दी।
पूरा जोधड़, उदैपुर, जैपुर, पहूँ थारा खूटा परियाणा।
कायरता से गई आवसी नहीं बाकें आसल किया बखाणा ॥
बजियाँ भलो भरतपुर वालो, गाजै गरज धरज नभ भौम।
पैलां सिर साहब रो पडि़यो, भड उभै नह दीन्हीं भौम ॥
इसका अर्थ है कि - जोधपुर, उदयपुर और जयपुर के मालिको ! तुम्हारा तो वंश ही खत्म हो गया। कायरता से गई भूमि कभी वापिस नहीं आएगी, बांकीदास ने यह सच्चाई वर्णन की है। भरतपुर वाला जाट तो खूब लड़ा। तोपें गरजीं, जिनकी धूम आकाश और पृथ्वी पर छाई। अंग्रेज का सिर काट डाला, लेकिन खड़े-खड़े अपनी भूमि नहीं दी।
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