अरे जाट ठंडी मती से तनिक सोच ज़रा
तूने अपनी अगली नस्लों ख़ातर के करा।
जाट के घर तूने जन्म लिया
पशु से बदतर अपना हाल किया।
भगवान ने बनाया तू इंसान
क्युँ बने अपने करतब से अंजान।
करे कराये पे तेरे डाँगर रहे हाँड़
भूल गया सब ,क्यों बने तू भाँड।
घमंड ने कतई छोड़ दे
माँस मदिरा से मुँह मोड़ दे।
घर बार ने देगा तू खो
राज़ी होंगे ,बाट देख़ रहे जो।
अरे 'हरपाल ' बावले क्यों ज़िंदावरा न हसान लाग रहया ,
तू अपनी ज़िम्मेवारी तँह अनजान बनता जा रहा।।
हरपाल
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