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Thursday, November 21, 2013

इतिहास एक घोटाला है

इतिहास एक घोटाला है-या फिर इतिहास एक चक्कर प्रसार है। कहने का तात्पर्य है  सत्ता वर्ग ने  मन अनुकूलित इतिहास लिखवाया है और इतिहास लेखक की भलाई और मनवाछित  , इस बात में निहित होती है कि वह अपने आकाँ की खुशी के लिए उनकी शान में डफलयाँ बजाते रहे .सिकंदर फिर तौर पर पंजाबी पोरस से पूरी  जीत हासिल करने में विफल रहा था और इसलिए उसने अनुसार यूनानी इतिहासकार जो सिकंदर के साथ थे , पोरस को राज्य वापस कर दिया  था।  क्या ये जुर्रत  कर सकते थे ? कि पूरी ईमानदारी से स्वीकार करते है कि सिकंदर को चिनाब के किनारों पर इतनी मुश्किल  पड़ी थी कि उसके सिपाही ने न केवल विद्रोह कर दिया था बल्कि हिंदुस्तान में अंदर जाने से मना कर दिया था। उसे क्या मालूम था कि पहले समर में ही यह हाल होगा अब तो " अल्लाह जाने क्या होगा आगे "। उसने ठान ली  की  चलो चलो ग्रीस वापस चलो " मोड़  लो वापिस अपनी सेना को। "इसलिए सिकंदर साहब ने टैक्सिला में वापसी का बिगुल बजाया , आधी सेना नावों में वापस भेजा और शेष आधों  के साथ वे सूखे  के रास्ते बाबुल पहुंचे और एक रिवायत के अनुसार मुल्तान के मिली जाटों के हाथों घायल होने के बाद फौत हो  गए . "भारत  शायद दुनिया का एकमात्र देश है जो हमलावरों के स्मारक निर्माण कराता  हैं और जो मिट्टी की जरी लोग थे , जिन्होंने उनका बे स्थरी से मुकाबला किया , उन्हें भुला देते हैं , सिर्फ इसलिए कि पोरस एक हिंदू जाट था . पोरस के  ज़माने में अभी उपमहाद्वीप में इस्लाम की रोशनी नहीं फैली थी , तो यहां के स्थानीय लोगों ने हिंदू या बौद्ध ही थे।  वह मुसलमान कैसे हो सकता था? लेकिन हमने  केवल इसलिए सिकंदर को सरआंखों पर बिठाया एक तो हम उसका नाम इस्लामी समझते थे और दूसरा यह कि वह एक हिंदू राजा ने  यूनानी इतिहासकारों को  शिकस्त दी थी।  इतिहास का एक सरसरी  छात्र होने  के नाते मैं  यह बताना चाहूँगा  की मोहम्मद हनीफ़ रामे और एतजाज अहसन अनुसंधान के अनुसार सिकंदर को पोरस के हाथों हार हासिल हुई थी , जो मैसेडोनिया से भारतीय जीत के इरादे से निकला था ( उन दिनों हिंदुस्तान को जीत का बड़ा रिवाज था) पहले समर के बाद अगर वह जीता हुआ था तो वापसी की राह क्यों साधे रखी थी।  

क्या कारण  था उसने वापसी की राह पकड़ ली। इतिहास सारा तोड़ा मरोड़ा है। देसी  अलफ़ाज़ में यह कहूंगा उसकी पतलून गीली कर दी और दाँत खट्टे कर दिए। वह यहाँ से दूम दबाकर भगा था। 
 (यह लेख एक शोध  छात्र द्वारा लिखा गया है। आपके लिए यहाँ प्रस्तुत है। आवश्यक बदलाव किया गया है। )


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