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Saturday, November 30, 2013

ठीक के गोबर करेगा


एक क्लिनिक के पास लम्बी कतार  लगी थी।
एक आदमी बार बार क़तार में घुसता
एक के बाद एक कर के सब उसे धक्का देकर बाहर निकाल देते।
दुबारा फिर लाईन में घुसता
फिर सब उसे धक्का देकर बाहर निकाल देते।

 उसने क्या कहा कोई बताएगा  ज़रा
थोडा दिमाग पे ज़ोर लगाओ
थोडा और ……

क्यूँ आज खाना नहीं खाया क्या ……

आप चाह  रहे हैं की मैं  बता दूँ  और
आप दिमाग की उर्ज़ा कतई खरच न करें।

फिर आप वोही  हँसी  कब्जी वाली ……
अरे भई  हंस तो खुल के लो
कोई टैक्स लगेगा क्या . ………
 चलो बता देता हूँ
या मैं  पेशआ …
(बात पूरी हुई नहीं पीछे से आवाज़ आने लगी )


क्या भाई साब  सुबह सुबह गाली
छोडो यार।

उस आदमी ने तंग होकर कहा 
अबे सालो  मुझे क्लिनिक तो खोलन दो ………



भीड़ में से आवाज़ आई --
अरे डाकदर होक्कीं  ग़ाली  दे ठीक के गोबर करेगा ................



नरेंद्र  सिंह  सांगवान 

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