जाटों
के इतिहास के साथ छेड़ छाड़ बहुत प्राचीन काल से होती आ रही है इन कागजी
शेरो और उनके आका बिल्ले ब्रह्मणो कि यह करतूत सदियो से चली आरही है इसका
कुछ हद तक जाट भी जिम्मेदार है क्यों कि वो इतिहास के प्रति बहुत नीरस रहा
है जहां तक इनका बस चला वहाँ इन्होने जाटों का इतिहास को या तो मिटा दिया।
यहा उस को अपने नाम से लिखवा दिया और लिखवाने के बाद भी इसका कोई ठोस
प्रमाण यह न दे सके क्यों यह इन गोलो कि मन कि उपज थी।
इसी कड़ी में आज
हम डबास और दहिया कि बात करते है यह डबास और दहिया गोत्र के कुछ तथ्य गलत
लिखे हुए है जैसे पृथ्वीराज चौहान दो रानियां थी- एक कछवाहा वंश कि दूसरी
चाहर जाटणी कल हम पोस्ट में इनकी माँ के बार में पोल खोल चुके है आज पत्नि
कि बारी है
जैसाकि इन कागजी बातो के शेरो ने लिखा है कि इनकी दो पत्नी
से दो पुत्र थे धनपाल और वीरपालधनपाल से दहिया और वीर पाल वीरपाल से डबास
बने।
पहली बात यह कल्पनी बात
पृथ्वीराज के दो नहीं बल्कि नो शादी हुई थी इनका वर्णन नीचे कर दिया है इन
में से एक भी पत्नी कछवाह या चाहर नहीं है मुर्ख लोगो को झूठ आया क्यों झूठ
तो आज नहीं तो कल समन आता ही है चाहर गोत्र तो खुद चाहड़ देव चौहान नाम जाट
से बना से बना है जो अनंगपाल तोमर कि लड़की का लड़का था जिसका पूरा वर्णन कल
कि पोस्ट में है इस चहड़ देव के एक लड़के विजयपाल के लड़के से श्यौराण जाट बन
थे चाहड़ देव चौहान को तोमर जाटों ने आगरा और ग्वालियर के बीचे में एक
रियासत थी।
चाहड़ देव के सिक्के नरवर के किले से मिले में जिन में एक
औरउसकी तस्वीर घोड़े पर जिस के नीचे उसका नाम अंकित है दूसरी और समंत राज
देव अंकित है समंत राज तोमरो के राज को बोलते थे यानि वो तोमर जाटों के
अधीन था समंत राज सलक्षणपाल तोमर का समन्त राज के आदि पुरुष थे।
यह १३ वि सदी ,में चाहर गोत्र यहा से जागल देश राजस्थान में गया।
दूसरी बात
यह डबास और दहिया गोत्र यदुवंश कि शाखा है जो चंद्रवंशी है न कि सूर्यवंशी
है जबकि चौहान सूर्यवंशी है यह डबास और दहिया बहुत पहले से अस्तित्व में
है ऐसे ही नैन गोत्र बहुत प्राचीन काल से जिकी उत्पति तंवरों से बता दी।
पृथ्वीराज के विवाह:-
प्रथम विवाह - पृथ्वीराज चौहान का प्रथम विवाह नाहर राय प्रतिहार परमार की पुत्री हुआ
द्वितीय विवाह - पृथ्वीराज का दूसरा विवाह आबू के परमारों के यहां हुआ, राजकुमारी का नाम ‘‘इच्छानी’’ था।
तृतीय विवाह -पृथ्वीराज का तीसरा विवाह चन्दपुण्डीर की पुत्री से हुआ।
चर्तुथ विवाह - पृथ्वीराज का चौथा विवाह दाहिमराज दायमा की पुत्री से हुआ
पंचम विवाह- पृथ्वीराज का पांचवा विवाह राजा पदमसेन की पुत्री पदमावती से हुआ।
षष्ठम् विवाह- पृथ्वीराज चौहान का छठा विवाह देवगिरी के राजा तवनपाल की पुत्री शशिवृता के साथ हुआ।
सप्तम विवाह - पृथ्वीराज का सातवां विवाह सारंगपुर मालवाद्ध के राजा भीम परमार की पुत्री इन्द्रावती के साथ खड़ग विवाह हुआ।
अष्ठम विवाह- कांगड़ के युद्ध के पश्चात जालंधर नरेश हमीर प्रतिहार की पुत्री के साथ पृथ्वीराज का आठवां विवाह सम्पन्न हुआ।
नवम् विवाह:- पृथ्वीराज का नवां विवाह कन्नोज के राजा जयचन्द राठौड़ की पुत्री संयोगिता के साथ हुआ।
जाटों यह इन कागजी शेरो को सबक सिका दो जा भाइयो अपने गोत्र वंश का इतिहास
अपने बड़वा भाटो के पास से देखो जब आप सालो से इनको रुपय पैसे दे रहे हो तो
अपना इतिहास भी देखो कही यह खाते आप कि को और बजाते गोलों कि हो जाटों
अपना इतिहास गौरवशाली रहा उसको दुबारा इकट्ठा करो।
अपना वंश है अपना जाट इतिहास
साभार :
मोनू लोर जाट और अमनदीप सिंह
Sahi kaha dost.....mai bhi itihas K panno par hamare purbajo ki veer gatha ko dhud rha hu
ReplyDeleteGud bhaiyo
ReplyDeleteHum kho gaye h hame fir s ikhtta hone ki jarurat h
भाई जाट कोनसे धर्म मैं आते है और कोनसे वर्ण मैं आते है । आर्यो का भारत पर आक्रमण करने से पहले जाटो की क्या स्थिति थी ।
ReplyDeleteजाट प्रकति वादी थे और हैं शिव के अंश है
Deleteपता चल गया अब
जाट क्षत्रिय योद्धा है।
Deletesehi kaha ap ne
ReplyDeletehttps://jaatpariwar.com/holi-meet-celebrations-in-narela/
Jis prathvi raj ki bat aap kar rahe ho n. 3 hai isase pahle 2 prathvi raj ho chuke hai dwitiy prathvi raj vigrah raj ke putr anang pal tomer ke nati the
ReplyDeleteछोंकर या छौंकर जाट गोत्र
ReplyDeleteBhai Kay Chahar jaat Sury vanse h
ReplyDeletePlz replye
ReplyDeleteChohan se Chahar ka Kay sabhand h
ReplyDeleteश्रीमान जी पहले सही ढंग से लेख तो लिखा करो ;कुछ भी पल्ले ना पड़ता है ऐसे। पहले आप अपनी लेखन विधि को सही क्रमबद्ध लिखो , तभी सब समझ सकेंगे।।
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