सतलुज के खंटारै पै खड्या होकै एक महामाणस नै पुकारू सूं
गऊ माता तेरी कटण लाग री न्यू जोर जोर के रुके मारूं सूं
तो इस सतलुज की छाती पाड़
फेर तै गऊ के पापिया नै मार ज़मीन मै गाड़
तेरे बिना या गऊ माता आज अपणी पीछाण खोवै सै
लहू लुहान होई आज गाम के छल्या मै बेठी रोवै सै
आज इस की इज्जत की बिरान माटी होरी सै
सारी बात बताऊ तनै तेर तै क्यां की चोरी सै
कसाई लोग गऊ माँ नै काट काट कै नै बागावै सै
तेरी माँ का मांस रै हरफूल लोग चटखारे ले ले खावै सै
यूपी अर दिल्ली के माह आज निरे हाथे चालै सै
मारण आली मशीन मै गऊ नै पूरी की पूरी घालै सै
चर्बी नियारी ख़ाल नियारी हर चीज़ छांटी जावै सै
डकरे कर कर हडिया की भी सानी काटी जावै सै
लोग गऊ नै माता कहण का खुला मजाक उड़ावै सै
गौमास बेचण के निरे खुले इश्तिहार लगावै सै
गऊ माता का बदला हरफूल कोई नी लेणा चाहंदा
उस के दूध के कर्जे का मोल कोई नी देणा चाहंदा
आज सारे के सारे नीरी सुखी धाक चाहवै सै
गऊ माँ कै नाम पै घनखरे सूखे पीसे खावै सै
रै सारे हिन्दू सोये पड़े सै दिख जावै नुहार काश तेरी
इतनी बड़ी सतलुज के माह कित तै टोहवू लाश तेरी
सुणदा हो जे सुण ले आज बखत नै तेरी लोड़ सै
जन्म ले ले एक बै फेर यो सब बातां का जोड़ सै
गऊ माता की रे रे माटी तनै क्यूकर दिल पै सह ली
जन्म ले कै दोबारा आजा कितनी बै तेरे तै कह ली
जे इब भी नही आया तो यो दूध का कर्ज कोण चुकावैगा
अर कोण गऊ नै माँ कहगा और कोण तेरे आहले गावैगा
फेर इस धरती तै सबकी माँ ए खत्म हो ज्यागी
माँ के बिन बेट्या की भी बिरानमाटी हो ज्यागी
माँ की छाती के घा मिटा कै उसकी वाए इज्जत कराज्या
इस रोंदी बिल्खादी माँ नै आज्या तू एक बै आके बीराज्या
यो तू हे कर सके सै हरफूल और किसे नै यो गम नही
तू हे फांसी चढ्या माँ खातर और किसे मै यो दम नही
लोग गऊ की तो के रुखाल करेंगे वो तो तनै ए भूल गये
न्यू कह सै एक उस बरगे पाता नी कितने हरफूल गये
आ लोगों हरफूल तो उसकी माँ नै एक ए जणया था
जो गरीब आदमी अर गऊ माता का रुखाला बणया था
लाचार अर कमजोर के हक़ खातर जो छाती ताण कै लड्या था
पहला आदमी था इतिहास का जो बेजुबाना खातर फांसी चढ्या था
1896 की साल मै एक कसुता चाला होया था
जाटणी की कोख तै एक पैदा रुखाला होया था
भिवानी के बारवास गाम की माथा कै लारया धूल था
श्योरान वंश का खून रगां मै, नाम उसका हरफूल था
हरफूल जाट जुलानी वाले के नाम तै जो मशहूर होया
जो उस तै टकराया तो वो पहाड़ भी चकनाचूर होया
गरीबा का हमदर्द था वो गऊ माँ का असली बेटा था
जो भी उल्टा चाल्या उसनै भर दिया सबका पेटा था
फेर रोना ओडेये का ओडै कुछ लोग सियासत मै इसे बडगे
जूत लगने चाहिए थे जिस कै आज वै बुत बण बण खड्गे
अर हरफूल कै नाम आज कोई भी कॉलेज अर पाठशाला नही
गऊ के असली बेटे कै नाम आज एक भी गऊशाला नही
नही चाहिए कोई पत्थर की मूर्ति बस उसनै दिल मै बसा ल्यो रै
ठाकै नै बन्दूक उसकी तरिया उसकी गऊ माता नै बचा ल्यो रै
जे कर सको न्यू तो उन कसाईयां का खत्म सब मूल हो ज्यागा
थारे हर एक एक कै भीतर फेर तै जिन्दा जाट हरफूल हो ज्यागा
जे या होज्या तो फेर माँ कानी कड़वा लखान की किसकी हिम्मत होवैगी
रै दर दर की बिरान होई गऊ माता उस दिन फेर लम्बी तांण कै सोवैगी
फेर अपणी गऊ माता कै किते कांडा भी नी लागैगा
जिस दिन थारे सारया के भीतर सोया हरफूल जागैगा।
साभार : सुनील दहिया
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