कुछ
काम की बात जो म्हारे दादे -परदादेबता कः गये सै...
जो शरीर नै तंग करै
वो खाणा ठीक नही
बेवक्त घरां गैर के जाणा ठीक नही!
ज़ार की यारी, वेश्या का
ठिकाणा ठीक नही !
ख़ुशी के टेम पै मातम का गाणा ठीक नही !
बीर नै ज्यादा
मुंह के लाणा ठीक नही !
बेटी हो घर की शोभा, घणा घुमाणा ठीक नही !!
पास के
धन तै काम चालज्या तै कर्जा ठाना ठीक नही !
भाईचारे तै रहना चाहिए, बेबातगुस्सा ठाना ठीक नही !!
सुसराड में जमाई , बेटी कै बाप और गाम मैं साला
ठीक नही !
पछैत मैं बारना,घर बीच मैं नाला ठीकनही!!
ऐश करण नै माल
बिराना ठीक नही
अर तिल हो धोले रंग का ,दाल मैं क़ाला ठीक नही !
साभार : सुमित मलिक
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