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Sunday, December 29, 2013

बख्त के बोल

कुछ काम की बात जो म्हारे दादे -परदादेबता कः  गये सै...
जो शरीर नै तंग करै वो खाणा ठीक नही 
 बेवक्त घरां गैर के जाणा ठीक नही!
ज़ार  की यारी, वेश्या का ठिकाणा ठीक नही !
ख़ुशी के टेम पै मातम का गाणा ठीक नही !
 बीर नै ज्यादा मुंह के लाणा ठीक नही !
बेटी हो घर की शोभा, घणा घुमाणा ठीक नही !!
पास के धन तै काम चालज्या तै कर्जा ठाना ठीक नही !
भाईचारे तै रहना चाहिए, बेबातगुस्सा ठाना ठीक नही !!
 सुसराड में  जमाई , बेटी कै बाप और गाम मैं साला ठीक नही !
पछैत मैं बारना,घर बीच मैं नाला ठीकनही!!
 ऐश करण नै माल बिराना ठीक नही
 अर तिल हो धोले रंग का ,दाल मैं क़ाला ठीक नही !

साभार :  सुमित मलिक

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