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Monday, December 30, 2013

देन यह माँ-बाप की

कर्जा बहुत माँ-बाप का,सिर पर चढ़ा मत भूलना !!
मुखड़ा तुम्हारा देखने, पूजे थे बहुत देवी-देवता !
जन्मे तो सब हर्षित हुए,इस बात को मत भूलना !!
थाली बजा खुशियाँ मना, एकत्र
को कर लिया !
घर-घर फिर लड्डू भिजवाये, स्ने
सबह यह मत भूलना !!
बचपन मैं जब रोगी हुआ,कड़वी दवा माँ खिलाती थी ! टोना किया नज़रे उतारी, वह घडी मत भूलना !!
सर्दी की ठंडी रात मैं, बिस्तर सभी गीले किये !
तब साफ़ कर छाती लगाया, यह प्यार मत भूलना !!
गोदी बिठा कर ग्रास अपना, तोड़ कर मुख में दिया !
तू उगल वापिस थूक भरता यह समय मत भूलना !!
अब तो बड़ा हो गया , देन यह माँ-बाप की !! युगों युगों मत भूलना !!!
 
 
साभार :
 
राजबीर सिंह पूनिया

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