Visitor

88905

Monday, January 6, 2014

पूली भी साथै भिजवानी सै के

ठीक कही सै – जाट के आगे भुत भी नाचे सै.. 
एक बारी, एक जाट ने शमशान घाट में हल जोड़ दिया भूत किते बाहर जा रह्या था
भूतनी जाट न डरावन खातर कांव कांव करण लागी. पर जाट ने कोई परवाह कोणी करी... आख़िर भूतनी बोली “तू यो के
करह सै” जाट बोल्या “में उरे बाजरा बोवुंगा” भूतनी बोली “हम कित रहंगे” जाट बोल्या “मनें ठेका नि ले राख्या
भूतनी बोली “तू म्हारे घर का नास मत करै, हाम तेरे घर में 100 मण बाजरा भिजवा दयांगे”.
जाट बोल्या “ठीक सै लेकिन तड़की पूंचना चाहिए नि तो में आके फेर हल जोड़ द्यूंगा”
शाम नै भुत घर आया तो भूतनी बोली आज तो नास होग्या था
। न्यूं न्यूं बणी अर जाट 100 मण बाजरे में मसाए मान्या।
भुत ने भोत गुस्सा आया और बोल्या तने क्यों ओट्टी, मन्ने
इसे जाट भोत देखे सै. मन्ने उसका घर बता में उसने इब
सीधा कर दयुन्गा
अर भुत जाट कै घर चल्या गया। जाट कै घर में एक बिल्ली हील री थी। वा रोज आके दूध पी जाया करदी
जाट नै खिड़की में एक सिकंजा लगा लिया और रस्सी पकड़ के बैठ ग्या अक आज बिल्ली आवेगी और मैं उसने पकडूँगा
भुत नै सोची तू खिड़की मैं बड़के जाट ने डरा दे। वो भीतर नै सीर करके खुर्र-खुर्र करण लाग्या आर जाट नै सोची –
बिल्ली आगी। उसने फट रस्सी खिंची आर भुत की नाड़ सिकंजा मैं फस गी आर वो चिर्र्र – चिर्र्र करण लाग ग्या
जाट बोल्या रै तू कोण सै ?
वो बोल्या मैं भुत सूं।
जाट बोल्या उरै के करे सै ? 
भुत बोल्या “मैं तो न्यू बुझंन आया था एके तू 100 मण बाजरे मैं मान ज्यागा अके पूली भी साथै भिजवानी सै?
 
साभार:
विपिन नरवत

No comments:

Post a Comment