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Tuesday, January 7, 2014

राष्ट्रप्रेम के नाम पर जवानी

जब जुगनू के घर सूरज के घोड़े सोने लगते हैं...
तो केवल चुल्लू भर पानी सागर होने लगते हैं...
सिंहों को 'म्याऊं' कह दे क्या ये ताकत बिल्ली में है..
बिल्ली में क्या ताकत होती कायरता दिल्ली में है...
'भय बिन होय न प्रीत गुसांई'- रामायण सिखलाती है...
राम-धनुष के बल पर ही तो सीता लंका से आती है...
जब सिंहों की राजसभा में गीदड़ गाने लगते हैं..
तो हाथी के मुँह के गन्ने चूहे खाने लगते हैं...
केवल पाक पर मत थोपो अपने पापों को...
दूध पिलाना बंद करो अब आस्तीन के साँपों को...
अपने सिक्के खोटे हों तो गैरों की बन आती है...
कला की नगरी मुंबई लहू में सन जाती है...
देखलो सीने की आग कितनी भङकती है..
राष्ट्रप्रेम के नाम पर जवानी कितनी फङकती है...
"तेजाभक्त" के ये कथन बहरोँ के भाँती एकबार सुनलो..
और फिर से अँधे होकर कायरोँ की सरकार चुन लो..
 
 
साभार :
बलवीर घिंथाला "तेजाभगत "

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