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Sunday, February 9, 2014

आपसी काट की कमी

अगर हम मे आपसी काट की कमी ना होती तो आज हम ही इस देश के शासक होते और देश का ये हाल भी ना होता, अब हमें आपसी मतभेत भुलाकर संगठित होकर अपने अधिकारों को हासिल करने के लिए संघर्ष करना होगा, यदि समाज का शीर्ष नेतृत्व हमें एकजुट करने के योग्य नहीं है तो अब हमारी पीढ़ी को ही समाज को संगठित करने का काम करना होगा, हमारे पास दूसरा कोई रास्ता भी तो नहीं है|
सम्भ्लो जाटो !अभी भी वक़्त है।



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