अगर
हम मे आपसी काट की कमी ना होती तो आज हम ही इस देश के शासक होते और देश का ये हाल
भी ना होता, अब हमें आपसी मतभेत भुलाकर संगठित होकर अपने अधिकारों को हासिल
करने के लिए संघर्ष करना होगा, यदि समाज का शीर्ष नेतृत्व हमें एकजुट करने
के योग्य नहीं है तो अब हमारी पीढ़ी को ही समाज को संगठित करने का काम करना
होगा, हमारे पास दूसरा कोई रास्ता भी तो नहीं है|
सम्भ्लो जाटो !अभी भी वक़्त है।
सम्भ्लो जाटो !अभी भी वक़्त है।
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