सच्ची में
जीवन भी कमाल का है
डगर भी तो कमाल की है
बच्चा इस सँसार में आता है
परिवार ढेरों खुशिया मनाता है
वाहियात खर्च कर दुनिया को दिखता है
बच्चे को डंग रखना सही नहीं सिखाता है
गंदगी और बागवानी में फ़र्क़ नहीं सिखलाता है
नन्हें को गर्द के चश्में से खिंचता चला जाता है
माँ बाप की सेवा का भाव ठुकराता है
वृद्ध माँ बाप को कोने में नकारता है
उनकी सभी धुप छाँव को भूल जाता है
माँ ने खाली पेट रह तेरा झेद भरा है
बुढ़ापे में वृद्ध आश्रम पटक आता है
लुगाई संग दाणद निकालता है
खुद का भी टेम आया है
सच्ची में
उसकी लाठी शोर नहीं करती
कहानी फिर से दोहराती
जीवन लीला योंही नहीं करहाती
जीवन भी कमाल का है
डगर भी तो कमाल की है
बच्चा इस सँसार में आता है
परिवार ढेरों खुशिया मनाता है
वाहियात खर्च कर दुनिया को दिखता है
बच्चे को डंग रखना सही नहीं सिखाता है
गंदगी और बागवानी में फ़र्क़ नहीं सिखलाता है
नन्हें को गर्द के चश्में से खिंचता चला जाता है
माँ बाप की सेवा का भाव ठुकराता है
वृद्ध माँ बाप को कोने में नकारता है
उनकी सभी धुप छाँव को भूल जाता है
माँ ने खाली पेट रह तेरा झेद भरा है
बुढ़ापे में वृद्ध आश्रम पटक आता है
लुगाई संग दाणद निकालता है
खुद का भी टेम आया है
सच्ची में
उसकी लाठी शोर नहीं करती
कहानी फिर से दोहराती
जीवन लीला योंही नहीं करहाती
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