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Saturday, February 4, 2017

सागीड़ा

सागीड़ा 

जाट   के  नाम  पे  सदा  उठे बखेड़ा
निस्वार्थ भाव से दुश्मनों को  खदेड़ा
झूठों  को सदा ही  उखेड़ा
मारा  झटाक  से लपेड़ा
टेक दिया ज़ोर से सपेड़ा

जाट होता है बड़ा तकड़ा
इसको सभी क़ौमों  ने जकड़ा
पाल लेता खड़ा लफ़ड़ा
धमका    देता वहीं  खड़ा
बात  पे  रहे  सदा  अड़ा

धरती माँ से है यह  जुड़ा
धोखा  सदा उसके पीछे पड़ा
शांति का है यह घड़ा
"हरपाल " दिलवाला है जाट बड़ा
काम निकालते  इससे अड़े  से अड़ा

इसने तो  झूठा  राखै चढ्डा
खोद्या राख्न  आगे इसके खड्डा ।





© निर्मल खज़ाना 

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