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Friday, February 10, 2017

झमेला

झमेला

जाटों  का बिचार  न्यारा अलबेला
पगड़  लगने लगा खेला 
झूठी  चौधर  का तबेला
कई सभा  ने किया घमेला
समझा  के  बना दिया मेला

"हरपाल " आपना बैरी लगेला
आपस में लीतर  फैकेला

धकाऊ  पालीं  झमेला
ग़ैर  संग मिल  हँसेला
बालक कुनबे खातर तरसेला
और के भाषा पाछे पड़गे गेला 
ख़ुद  की भाषा का  न आवे ढेला

टेम है इब भी सुधरेला 



© निर्मल खज़ाना 

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