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Friday, March 3, 2017

अज़ब

अज़ब 


शाम ढली 
कोहरा छाया 
लोग ठिठुरे 
जानवर 
ढूंढे  कोना 
मानो सब का 
कद हो गया बोना 
सिंह हुआ बेबस 
लोमड़ी खेले चाल 
बिछाई बिसात 
भेड़ ,भेड़िये 
तेंदुआ सियार 
लकड़बघा 

नाना प्रकार 
पशु हुए इकठा 
ठण्ड से ठीठुर 
उठे
पशु बोले 



क्रमशः......... 

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