अज़ब
शाम ढली
कोहरा छाया
लोग ठिठुरे
जानवर
ढूंढे कोना
मानो सब का
कद हो गया बोना
सिंह हुआ बेबस
लोमड़ी खेले चाल
बिछाई बिसात
भेड़ ,भेड़िये
तेंदुआ सियार
लकड़बघा
नाना प्रकार
पशु हुए इकठा
ठण्ड से ठीठुर
उठे
पशु बोले
क्रमशः.........
शाम ढली
कोहरा छाया
लोग ठिठुरे
जानवर
ढूंढे कोना
मानो सब का
कद हो गया बोना
सिंह हुआ बेबस
लोमड़ी खेले चाल
बिछाई बिसात
भेड़ ,भेड़िये
तेंदुआ सियार
लकड़बघा
नाना प्रकार
पशु हुए इकठा
ठण्ड से ठीठुर
उठे
पशु बोले
क्रमशः.........
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