Visitor

Monday, March 6, 2017

मंथन

धरने पर  जा बैठे जाट 
हठी  हो गए जाट 
उपद्रवी बना दिए  जाट
असामाजिक तत्व 
इनके आगे सरकार  झुक जाएगी  


यह अल्फाज़ जब पढ़ते  हैं या कानो में आते  हैं तो  अंदर जलजला  उठता है।  अंदर ही अंदर चिंतन एवं मंथन  शुरू हो जाता है। 
जाटों  की परम्परा ,सभ्यता  को करारा  झटका लगाने  के प्रयास। 
यह है मेहनतकश भोली कौम है  जो किसी का भी बुरा नहीं चाहती   किन्तु  और इसे कतई पसंद नहीं करते। 
यह मुँह  पर  स्पष्ठ बोलने वाला प्राणी है। 
अगर ज़िद पे आ जाये तो  तो वो गण गीत याद आ जाता है    . . . . . .  सर कटा  सकते  हैं लेकिन सर  झुक सकते नहीं। 

जाट एक आज़ाद पंछी है  इसको भूका  की कुछ भी करवा लो लेकिन आँख दिखा के नहीं 
यह जाट सरहद पर दुश्मन को उसकी घूर से निकाल कर चीर डालता है। इस कौम के चरचे पूरी  दुनिया में  मशहूर है। यह  एक बार अपनी बात पर अड़ गया तो यो एकदम छीनी  का टूक स।  मज़े  की बात गलत बात पे कम  ही अड़ता है। अड़ गया तो अंगद का पैर  मजाल कोई हटा दे। कोई हटाये तो खुद अंगद। 

जाट एक ऐसी कौम है जो देना जानती है जिसने सदा दिया है क्योकि भगवन के बाद जाट आता है  जो सिर्फ देता है। इस मर्द कौम ने सदा दिया है। 

 महानुभवो  ने इसे भूला  बहकाकर तबियत से निचोड़ा मरोड़ा 
इस सूदी  कौम को कहीं का नहीं छोड़ा 
अब लगने लगी यह रोड़ा 
इसको मारना छह हथौड़ा 


किन्तु 

यह कौम तो अनंत युग से है 
वज़्र फौलाद  इसका बदन है
पीछे मुड़ना इसने नहीं सिखा  है
ये विशेष रब का बंदा  है 


जाट को उसकी ताक़त याद दिलानी पड़ती है  
जयघोष  सुन पीछे  मुड़ती  नहीं है   
रूहानी  साथ इसके साथ है 
झूठ पाखंड इसके आस पास न है  


  

No comments:

Post a Comment