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Thursday, October 17, 2013

जवाहरजी


यह बात साबित हो चुकी है कि भगवान श्रीकृष्ण जाट थे। पाँडव और कौरव भी। ब्रजभूमि के जाट स्वंय को चँद्रवंशीय जाट मानते हैँ। भरतपुर के राजचिन्ह मेँ भी चँद्रवंशीय अंकित हैँ।

एक किस्सा सुनिये:-
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शूरवीर सुरजमलजी के पुत्र वीर भारतेँदु जवाहरजी के दरबार मेँ एक बार जयपुर का दरबारी आकर बोला-" आपको जयपुर महाराजा को स्वंय से श्रेष्ठ मानना चाहिए क्योँकि उनके पूर्वज सूर्यवंशियो ने समंदर मेँ पुल बनाया था।"
इस पर गर्विले वीर जवाहरजी ने जवाब दिया कि-" हजारोँ की सेना लेकर पुल बनाना कौनसी बङी बात है हमारे पूर्वजोँ ने तो अँगुली पर गोवर्धन पर्वत को 7 दिन टिकाये रखा था। अब आप बताओ जयपुर महाराजा बङा है या हम चँद्रवंशीय जाट वीर।"
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जब तक जवाहरजी जिँदा थे उन्होने भारत की राजधानी भरतपुर को बनाये रखा था। दिल्ली केवल नाम मात्र थी। इसलिए उन्होने 'भारतेँदु' की उपाधी को धारण किया था।
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गर्विले शूरवीर महाराजा जवाहरसिँह जी को पावन वंदन

Courtsey - Balveer Ghintala

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