वंशावली के अनुसार
वंशावली में कुन्तलो को मूल रूप से तोमर जाट ही मन गया है यह तोमर गोत्र
का ही एक उप गोत्र है इसलिए तोमर और कुंतल एक ही गोत्र है । उनमे आपस में
विवाह वर्जित है। इतिहासकारों ने तोमरो को चन्द्रवंशी पांडु पुत्र अर्जुन
के वंशज माना है । कुंतल जाट(कुंती पुत्र) मथुरा और भरतपुर में निवास करता
है वे कुंती और पांडु के वंशज हैं, तो उन्हें कुंतल (कोंतय ) बुलाया जाता
है | कुंती के नाम पर ही अर्जुन को कोन्तय बोला जाता है जिसका मतलब होता है
कुंती पुत्र या कुंती के वंशज तोमर पांडवो (कुंती के पुत्रो ) के वंशज
है अर्जुन को कुंती पुत्र होने के कारन ही तो कोन्तेय कहा जाता है तोमर
जाटो को आज भी कुंती पुत्र , पार्थ (पृथा पुत्र), कोंतये ,पांडव भी कहते है
आगरा जिले में कुंतल वंशी अब पांडव लिखते है यहे एक चंद्रवंशी गोत्र जो
महान पांडवो के वंशज है
तोमर जाटों से जब 1162 में दिल्ली का राज्य
चला गया तो वो लोग मथुरा क्षेत्र में बस गये थे । उस समय उन लोगो ने अपनी
कुल देवी योगमाया (कृष्ण की बहिन ) का मंदिर गोपालपुर जाजम पट्टी में
बनवाया था । जो मनोकामना पूर्ण करने के कारण ही मनसा देवी कहलाती है । जो
आज भी कुंतल जाटो की कुल देवी है ।
तो अनंगपाल तोमर के सगे
परिवार के लोगो ने पृथला (कुंती (पृथा) के नाम पर ) गाँव पलवल में बसाया जो
आज भी है ।उसी समय इनके कुछ लोगों ने पलवल के पूर्व दक्षिण में (12
किलोमीटर) दिघेट गांव बसाया। आज इस गांव की आबादी 12000 के लगभग है।यह गाँव
जाट भाई तंवर (तोमर ) ही गोत्र लिखते है
राजा अनंगपाल के सगे परिवार
के लोग फिर मथुरा क्षेत्र में चले गए। कुछ परिवार के लोगो ने कुंतल पट्टी
बसाकर , सौख क्षेत्र की खुटेल, (कुंतल) पट्टी में महाराजा अनंगपाल की बड़ी
मूर्ति स्थापित करवाई जो आज भी देखी जा सकती है।मथुरा में तोमरो के वंशजो
को कुंतल (कुंतीपुत्र ) कहते है
मथुरा सेमायर्स’ से पता चलता है
मि. ग्राउस लिखते हैं -
सोंख का किला बहुत पुराना है। राजा अनंगपाल के समय में इसे बसाया गया था।
जब दिल्ली से तोमर जाटो का राज्य चला गया तब कुछ तोमर जाटों ने सोंख
में किला बनवाया और तोमरो ने अपने पूर्वज अर्जुन के नाम कोंतय को अपना
लिया बाद में यही नाम बिगड़ कर कुंतल बन गया और मुग़ल काल के दोरान अपनी
दबंग छवि के कारन यह खुटैला कहलाने लग गये सोंख से फिर कुंतल पट्टी
(खुटैल पट्टी) के गांवों का निकास हुआ बाद में कुछ तोमर ग्वालियर
क्षेत्र में चले गये और वो राजपूत बन गये
इस सोंख के किले का पुन :
निर्माण महाराजा हाथी सिंह (हटी सिंह ) कुंतल ने करवाया जो महाराजा सूरजमल
के समकालीन था आजकल सोंख पांच पट्टियों में बंटा हुआ है - लोरिया, नेनूं,
सींगा, एमल और सोंख। यह विभाजन गुलाबसिंह ने किया था।
राजा
हाथीसिंह के वंश में कई पीढ़ी पीछे प्रह्लाद नाम का व्यक्ति हुआ। उसके समय
तक इन लोगों के हाथ से बहुत-सा प्रान्त निकल गया था। उसके पांच पुत्र थे -
(1) आसा, (2) आजल, (3) पूरन, (4) तसिया, (5) सहजना। इन्होंने अपनी भूमि को
जो दस-बारह मील के क्षेत्रफल से अधिक न रह गई थी आपस में बांट लिया और
अपने-अपने नाम से अलग-अलग गांव बसाये। सहजना गांव में कई छतरियां बनी हुई
हैं। तीन दीवालें अब तक खड़ी हैं ।
पुष्करसिंह अथवा पाखरिया
कुंतल जाटों में पुष्करसिंह अथवा पाखरिया नाम का एक बड़ा प्रसिद्ध शहीद
हुआ है। कहते हैं, जिस समय महाराज जवाहरसिंह देहली पर चढ़कर गये थे
अष्टधाती दरवाजे की पैनी सलाखों से वह इसलिये चिपट गया था कि हाथी धक्का
देने से कांपते थे। पाखरिया का बलिदान और महाराज जवाहरसिंह की विजय का
घनिष्ट सम्बन्ध है।
फौंदासिंह कुन्तल
अडींग के किले पर महाराज सूरजमल से कुछ ही पहले फौंदासिंह नाम का कुन्तल सरदार राज करता था।
सीताराम (कुन्तल)
पेंठा नामक स्थान में जो कि गोवर्धन के पास है, सीताराम (कुन्तल) ने गढ़ निर्माण कराया था। कुन्तलों का एक किला सोनोट में भी था।
सिनसिनवार ,सोगर वाल चाहर और कुंतल गोत्र को फौजदार की उपाधि मिली थी
कुन्तलो के गाँव के कुछ गाँव
कुंतल खाप के गाँव कुंतल खाप के गाँव -
धना तेजा, बण्डपुरा, बोरपा, जाटोली नगला भूरिया, , मगोरा ,बेरू, सबला,
सीरा गुलास ,बलसीरा, गुला, बछगांव सोन, सोंख ,सहजना,सोसा, पेंठा, सोनोट
,गोवर्धन,जाजमपट्टी,,, अबहुआ ,भवनपुरा
भरतपुर जिले में गांव
अबहोरा,भरतपुर,बूरावाली,जाटोली, रथमन,नगलाचौधरी,,अजान,गुनसारा,स िमला,रारेह ,, खुटेल नगला(बहज)
Courtsey :: Manvendra Singh Tomar Jatवंशावली के अनुसार
वंशावली में कुन्तलो को मूल रूप से तोमर जाट ही मन गया है यह तोमर गोत्र का ही एक उप गोत्र है इसलिए तोमर और कुंतल एक ही गोत्र है । उनमे आपस में विवाह वर्जित है। इतिहासकारों ने तोमरो को चन्द्रवंशी पांडु पुत्र अर्जुन के वंशज माना है । कुंतल जाट(कुंती पुत्र) मथुरा और भरतपुर में निवास करता है वे कुंती और पांडु के वंशज हैं, तो उन्हें कुंतल (कोंतय ) बुलाया जाता है | कुंती के नाम पर ही अर्जुन को कोन्तय बोला जाता है जिसका मतलब होता है कुंती पुत्र या कुंती के वंशज तोमर पांडवो (कुंती के पुत्रो ) के वंशज है अर्जुन को कुंती पुत्र होने के कारन ही तो कोन्तेय कहा जाता है तोमर जाटो को आज भी कुंती पुत्र , पार्थ (पृथा पुत्र), कोंतये ,पांडव भी कहते है आगरा जिले में कुंतल वंशी अब पांडव लिखते है यहे एक चंद्रवंशी गोत्र जो महान पांडवो के वंशज है
तोमर जाटों से जब 1162 में दिल्ली का राज्य चला गया तो वो लोग मथुरा क्षेत्र में बस गये थे । उस समय उन लोगो ने अपनी कुल देवी योगमाया (कृष्ण की बहिन ) का मंदिर गोपालपुर जाजम पट्टी में बनवाया था । जो मनोकामना पूर्ण करने के कारण ही मनसा देवी कहलाती है । जो आज भी कुंतल जाटो की कुल देवी है ।
तो अनंगपाल तोमर के सगे परिवार के लोगो ने पृथला (कुंती (पृथा) के नाम पर ) गाँव पलवल में बसाया जो आज भी है ।उसी समय इनके कुछ लोगों ने पलवल के पूर्व दक्षिण में (12 किलोमीटर) दिघेट गांव बसाया। आज इस गांव की आबादी 12000 के लगभग है।यह गाँव जाट भाई तंवर (तोमर ) ही गोत्र लिखते है
राजा अनंगपाल के सगे परिवार के लोग फिर मथुरा क्षेत्र में चले गए। कुछ परिवार के लोगो ने कुंतल पट्टी बसाकर , सौख क्षेत्र की खुटेल, (कुंतल) पट्टी में महाराजा अनंगपाल की बड़ी मूर्ति स्थापित करवाई जो आज भी देखी जा सकती है।मथुरा में तोमरो के वंशजो को कुंतल (कुंतीपुत्र ) कहते है
मथुरा सेमायर्स’ से पता चलता है
मि. ग्राउस लिखते हैं -
सोंख का किला बहुत पुराना है। राजा अनंगपाल के समय में इसे बसाया गया था। जब दिल्ली से तोमर जाटो का राज्य चला गया तब कुछ तोमर जाटों ने सोंख में किला बनवाया और तोमरो ने अपने पूर्वज अर्जुन के नाम कोंतय को अपना लिया बाद में यही नाम बिगड़ कर कुंतल बन गया और मुग़ल काल के दोरान अपनी दबंग छवि के कारन यह खुटैला कहलाने लग गये सोंख से फिर कुंतल पट्टी (खुटैल पट्टी) के गांवों का निकास हुआ बाद में कुछ तोमर ग्वालियर क्षेत्र में चले गये और वो राजपूत बन गये
इस सोंख के किले का पुन : निर्माण महाराजा हाथी सिंह (हटी सिंह ) कुंतल ने करवाया जो महाराजा सूरजमल के समकालीन था आजकल सोंख पांच पट्टियों में बंटा हुआ है - लोरिया, नेनूं, सींगा, एमल और सोंख। यह विभाजन गुलाबसिंह ने किया था।
राजा हाथीसिंह के वंश में कई पीढ़ी पीछे प्रह्लाद नाम का व्यक्ति हुआ। उसके समय तक इन लोगों के हाथ से बहुत-सा प्रान्त निकल गया था। उसके पांच पुत्र थे - (1) आसा, (2) आजल, (3) पूरन, (4) तसिया, (5) सहजना। इन्होंने अपनी भूमि को जो दस-बारह मील के क्षेत्रफल से अधिक न रह गई थी आपस में बांट लिया और अपने-अपने नाम से अलग-अलग गांव बसाये। सहजना गांव में कई छतरियां बनी हुई हैं। तीन दीवालें अब तक खड़ी हैं ।
पुष्करसिंह अथवा पाखरिया
कुंतल जाटों में पुष्करसिंह अथवा पाखरिया नाम का एक बड़ा प्रसिद्ध शहीद हुआ है। कहते हैं, जिस समय महाराज जवाहरसिंह देहली पर चढ़कर गये थे अष्टधाती दरवाजे की पैनी सलाखों से वह इसलिये चिपट गया था कि हाथी धक्का देने से कांपते थे। पाखरिया का बलिदान और महाराज जवाहरसिंह की विजय का घनिष्ट सम्बन्ध है।
फौंदासिंह कुन्तल
अडींग के किले पर महाराज सूरजमल से कुछ ही पहले फौंदासिंह नाम का कुन्तल सरदार राज करता था।
सीताराम (कुन्तल)
पेंठा नामक स्थान में जो कि गोवर्धन के पास है, सीताराम (कुन्तल) ने गढ़ निर्माण कराया था। कुन्तलों का एक किला सोनोट में भी था।
सिनसिनवार ,सोगर वाल चाहर और कुंतल गोत्र को फौजदार की उपाधि मिली थी
कुन्तलो के गाँव के कुछ गाँव
कुंतल खाप के गाँव कुंतल खाप के गाँव -
धना तेजा, बण्डपुरा, बोरपा, जाटोली नगला भूरिया, , मगोरा ,बेरू, सबला, सीरा गुलास ,बलसीरा, गुला, बछगांव सोन, सोंख ,सहजना,सोसा, पेंठा, सोनोट ,गोवर्धन,जाजमपट्टी,,, अबहुआ ,भवनपुरा
भरतपुर जिले में गांव
अबहोरा,भरतपुर,बूरावाली,जाटोली,
Tomar rajput bhi h bhai or m khud rajput hu tomar/ tanwar
ReplyDeleteBro Tomar jaat b h rajput b or gujjar b
Deleteभाई मैं कुंतल जाट हूँ पलवल हरियाणा से
DeleteOr tomar rajput ya/tanwar rajput Delhi ke rajput h
ReplyDeleteJaat bhi h
ReplyDeleteRajput to m jub koi galat kaam kr deta tha to use nikal dete the or unhe rajputto se bhar kr dete the tab vo or अन्य jaati m privertit ho jate the
ReplyDeleteKya Jailur ka raja Bharmal rajput nahi tha jisne apni beti Jofhabai ko mughal akbar ko de diya aur udka betaMan Singh jeevsnbhar udki ghulami karata raha.Usne ek sachche rajput Maharana Pratap ke rajya ko ujad diya.Kya use bahar nikala.
Deleteभाई तोमर राजपूत अलग जाती है और तोमर जाट अलग जाती है
DeleteOr m hemant singh tomar rajput hu
ReplyDeleteऔर मै चौधरी शिवम् कुंतल जाट हूँ
Deleteआप गलत लिख रहे हो !
ReplyDeleteजाट शब्द वैदिक कालीन है और इसका मतलब होता है ज्ञात ( जिसको चारों ओर सभी जानते हों )
और राजपूत शब्द की उत्पत्ति सम्राट अशोक के साशन काल के बाद में माउंट आबू पर हुई एक सभा मे हुआ।
जाट आदिकालीन क्षत्रिय जाती है जिसमे से राजपूत शब्द की उत्पत्ति हुई ।
आप भी आदिकालीन जाट हो ।
Shi kaha bhai Mai bhi kuntal hu
DeleteM b kuntal hu jaat hu
DeleteBhai aap dono kahan se ho main bhi kuntal jaat hi hu
DeletePalwal HR30 se
Bhai me bhi kuntal jaat hu
DeleteBhai me bhi kuntal jaat hu Bharatpur rajsthan se
Deleteजनपद ग़ाज़ियाबाद में तीन गाँव कुन्तलों के हैं सदरपुर ,रहीसपुर और काजीपीरा
ReplyDeleteBhai bilkul sahi hai main kuntal jat hu woh bhi Bharatpur ke paas mera village hai jis ka nam ajan hai
ReplyDeleteMe gunsara se hu uttar Pradesh police
DeleteBhai main palwal HR30 se hu kuntal jaat
DeleteMei bhi usi gaav se hu bhai
DeleteDear brothers there is no difference between rajput and jat.Both are marshal race and fight agsinst enemies of humanity and nation.We should get over such narrow thoughts and move together to fight against enemies of humanity ....Devendra kuntal Umari Mathura UP Aryavart .
ReplyDeleteSabhi bhaiyo ko ram ram me Laxman Kuntal from Nagriya bhag ahmal sonkh Mathura
ReplyDeleteWao I proud to be Kuntal.
ReplyDeleteBecause my Name is Mahipal singh kuntal
Kuntal and Tomar are Yadava's or Chandravanshi
ReplyDeleteKuntal tomer jaat 💪💪💪💪 hain chhotu samjh le
DeleteKuntal and Tomar are Jaats that are related to Pandav (Kuru Dynasty) who were chandravanshis.
ReplyDeleteYou missed a village that named TAKHA
ReplyDeleteभाई बछगांव पंचायत में शेरा सावला भैरू से बड़ा गांव नगला देविया है यह नहीं लिखा आपने नगला देविया
ReplyDeleteSabhi kuntal Bhai apas me judne ki liye mujhse is number par WhatsApp msg Kar de taki hmari ekta bni rhe
ReplyDeleteKuntal jaat 8058750681 dheeraj kuntal
मैं रणवीर सिंह कुंतल ग्राम शोख जिला मथुरा यूपी सभी भाइयों को राम राम सा mobile number 982964102
ReplyDeleteYadveer kuntalobile number 8769323538
ReplyDeleteGajendra kuntal
ReplyDeleteOmvir singh kuntal
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