वज्र चमका, बादल सहमा
रात दहली, दिन घबराया
जब इस धरती पर जाट आया !!
धरती भी डोली, आई सूरज पर भी छाया
जब इस!!
पहाडो को झुकाया, मौत को भी तड़पाया
जब इस धरती पर जाट आया !!
शौर्य को जगाया
शौर्य को लड़ाया
शौर्य को हराया
जब इस धरती पर जाट आया !!
दुश्मन घबराया
दुश्मन को हराया
दुश्मन के किले की नींव को हिलाया
जब इस धरती पर जाट आया !!
किसान को प्रकाश दिखाया
किसान को बचाया
किसान को न्याय दिलाया
जब इस धरती पर जाट आया !!
धरती पर समानता को फैलाया
आर्यव्रत की शान को बढाया
तलवारों के स्तंभों से प्यार का पुल बनाया
जब इस धरती पर जाट आया !!
औरत को समाज में मान दिलाया
कमजोर भी मजबूत हालत में आया
जब इस धरती पर जाट आया !!
अग्नि को लोगो ने ठंडा पाया
समंदर को भी लोगो ने जमता पाया
जब इस धरती पर जाट आया
दुश्मन की आँखों में आया डर का साया
शेर भी उस दहाड़ से घबराया
जब इस धरती पर जाट आया !!
इनके क्रोध को न जगाना
इनके धैर्य को न डगाना
ना ताकत का इम्तेहाँ लेना
क्योंकि तब- तब प्रलय आई है
जब- जब इस धरती पर जाट आया !
जाट आया !
जाट आया !
साभार :
बलबीर घिनथाला
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