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Saturday, November 2, 2013

दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ

आज  दीपावली  है छोटी।  आख़िर  दीवाली दीवाली है छोटी हप या बड़ी। अब तो कनागत (श्राद) के बाद यह मालूम ही नहीं पड़ता की  कब नवरात्र  शुरू हुए कब खत्म  और दीवाली कब आ गई।  दीवाली कब आकर चली गई। वोह अहसास ,चाव चढ़ता ही नहीं। आज तो हर रोज़ दीवाली है। देखा देखी  की  चकाचौंध  में इसकी चमक फीकी  पड़  गई। अब तो इसका वास्त्विक  रूप लुप्त होता जा रहा है। मैं  चाहता हूँ आप निम्न लिखित बातों  पर गौर फरमाएं तथा अपने विचार हमें भेजें  ताकी  हमारी बुद्धि  में और इज़ाफ़ा हो जाये ।


आप इस दिवाली  दियो  का प्रयोग करें    जिस  कारण एक कुम्भकार का घर भी  ख़ुशी ख़ुशी दिवाली बना सकें  आप का स्वदेशी भावना की  भी कद्र हो जायेगी।
आज़कल  चीनी लड़ियों  की  भरमार है। चीनी उत्पाद छोड़ो  स्वदेशी अपनाओ। चीन को जवाब देना ज़रूरी है। जाटो  आप यह मत भूलिए देश भक्ति  में आप सा कोई नहीं।   जब सनातन धर्म  डगमगा   रहा था  तब जाट ने ही बागडोर सम्भाली थी।  बुद्ध  धर्म के प्रसार में जाटों  का बहुत योगदान है।  महाराजा हर्ष वर्धन नेय सभी प्रजा के साथ बुध धर्म अपना लिया था। उस हिसाब से हमारी विचारधारा बौद्यिक   है। हम हिन्दू है ही नहीं।
आगे चल कर फिर हिन्दू धर्म खतरें में पड़ा  आर्य समाज कि स्थापना हुई। उसको आगे तक लेय जाने की  हिम्मत सिर्फ जाटों  में थी जिसे  स्वामी दयानंद जी बख़ूबी  पहचानते थे।  उन्होंने  जाटों के कंधो पर यह जिम्मेवारी डाल  दी जिस पर जाटों ने  आज तक ऑंच  नहीं आने दी। देश भक्ति में तो जाटों   के किस्से  भरे पड़े  हैं।  जाटों   चेतो ! अपनी औकात मत भूलो।  मत  मिटने दो अपने स्वाभिमान को। झूठी  हौड़  छोड़ दो। अभी भी वख्त है संभल जाओ। चलो बातें ज़ारी  रहेंगी।  अभी अभी हुक्का  भरण खातिर  बुढले  बोलण  लागे। हुक्का भर देतें  है। किसी को पीना है तो बैठे रहो। वैसे धूम्रपान सेहत खातिर  ठीक ना है। बाकी ताहरी  मर्ज़ी। इस सहारे  बैठक हो जा स। हाँ  ताऊ कहन लाग रहा सै  पटाख़े  ना जलाओ।  के मिले है।  कोई बजा रहा हो उस के साहरे  खड़े हो जाओ खुड़का  बराबर सुनेगा। ताऊ बात तो ठीक कह सह।  सौ बात का एक निचोड़ स -प्रदुषण  मत फैलाओ।   आप सब का वातावरण को  सवारने का तह दिल से शुक्रीया।  आप सब को दीवाली  की हार्दिक शुभकामनाएँ ।   जय जाटजय धरती माता



हरपाल 

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