महारानी लक्ष्मी बाई के 184 वे जन्म दिवस पर भारतीय नारी शक्ति की मिसाल को सत सत नमन !
वंदे मातरम !!
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी आली रानी थी।
सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।
चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी आली रानी थी।
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