आइये
हम कैम्पाकोला कम्पाउंड में रह रहे लोगो के पक्ष में आवाज बुलंद करे .. कई
बार ऐसा महसूस नही होता बल्कि विश्वास हो जाता है की भारत की
न्यायपालिका शायद आम और खास देखकर ही फैसले देती है ..... मुंबई के
कैम्पाकोला कम्पाउंड में तीस साल से रह रहे लोगो को आखिर सरकार की गलती की
सजा क्यों दी जा रही है ?? अगर वो फ़्लैट अवैध थे तो बैंको ने खरीदारों को
लोन क्यों दिए ?? बीएमसी में पानी और बेस्ट ने बिजली के
कनेक्शन क्यों दिए ?? और तो और पुरे तीस सालो से बीएमसी ने उन लोगो से
हाउसटैक्स क्यों वसूले ??? अगर सिर्फ पांच मंजिल की ही परमिशन थी और बिल्डर
ने आठ मंजिल बना दिए तो क्या उस समय सरकारी मशीनरी सो रही थी ??? जब
सोसाइटी ने सोसाइटी इम्पेक्ट फी भरकर उपर की तीन मंजिले रेगुलर करने की अर्जी दी है तो
उसकी अर्जी पर विचार क्यों नही किया गया ?? उसी मुंबई में पर्यावरण मंजूरी
के बिना मन्नत और एंटीलिया जैसी इमारते खड़ी हो जाती है .. रातोरात वक्फ की
जमीन को फ्रीहोल्ड कर दिया जाता है .. जिस दिल्ली के सुप्रीमकोर्ट ने इतना
सख्त फैसला बिना ये सोचे दिया की आखिर ८८ परिवार कहाँ जायेंगे उसी दिल्ली
में सैनिक फ़ार्म और एआरडी [अनंतराम डेयरी काम्लेक्स] में बनी आलीशान बंगले
और फार्महाउसों पर सुप्रीम कोर्ट की नजर क्यों नही जाती ?? क्या सिर्फ
इसलिए की सैनिक फॉर्म में बने अवैध फॉर्म हाउस बड़े बड़े नेताओ और रतन टाटा ,
बिरला, मित्तल जैसे उद्योगपतियो के है ?
विवेक बेनीवाल
विवेक बेनीवाल
No comments:
Post a Comment