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Thursday, November 21, 2013

सरफ़रोशी की तमन्ना



"आज़ादी के सूरज को आज गृहण क्यूँ लग गया??
ये गुलामी का दिया क्यूँ फिर से आज जग गया,

आज बैठे हम बन चूहे अपने बिल में हैं,
सरफ़रोशी की तमन्ना आज "किसके दिल में है??

एक इंक़ेलाब के लिए जान दी शूरवीरों ने,
आज अर्जुन मर गया है खुद अपने तीरों से,

दोस्ती का नकाब ओढ़े कई दुश्मन महफ़िल में हैं,
सरफ़रोशी की तमन्ना आज "किसके" दिल में है???

देखकर था जिन्हें, फांसी का फंदा कांपता,
आज वो जहां से क्यूँ हो गए हैं लापता,

ढूँढता हूँ सोचकर की बैठे मेरी महफ़िल में हैं,
सरफ़रोशी की तमन्ना आज "किसके" दिल में है???

एक तरफ ये राजनेता देश को हैं नोचते,
एक तरफ हम सभी बस अपने बारे सोचते,

इस "आज़ाद" मुल्क में हम करते अपने दिल की हैं,
सरफ़रोशी की तमन्ना आज "किसके" दिल में है???

"घूसखोरी" और "गरीबी" को मिलता आशियाँ यहाँ,
"आज़ादी" को तरसते ये ज़मीं और आस्मां,

भारत माता रही पुकार "तुझे",
भारत माता बढ़ी मुश्किल में है,

सरफ़रोशी की तमन्ना आज "किसके" दिल में है???

पूछता है भगत सिंह आज "तुमसे" —

सरफ़रोशी की तमन्ना क्या तुम्हारे दिल में है???"
सरफ़रोशी की तमन्ना क्या तुम्हारे दिल में है??

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