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Friday, November 8, 2013

ठाकन ,थाकन गोत्र का इतिहास उनके भाटो कि जुबानी



ठाकन गोत्र को ही थाकन बोला जाता है यह गोत्र चंद्रवंशी गोत्र है इस कि उत्पति भाटी जाट गोत्र से है भाटी जाट गोत्र आज पंजाब, राजस्थान (अलवर ,नागौर ) हरियाणा और जम्मू कश्मीर में निवास करता है ठाकन गोत्र के भाटो के अनुसार यह गोत्र चंद्रवंशी यदुवंशी भाटी गोत्र कि शाखा है जिसका आज भी भाटी गोत्र में भाईचारा कायम है अलवर जिले में यह गोत्र (भाटी व ठाकन ) एक साथ मौजूद है और आपस में शादी नहीं करते है भटनेर और भटिण्डा पर जाट भाटियों का और जैसलमेर पर राजपूत भाटियों का राज रहा है।‘वाकए-राजपूताना’ के लेखक ने भाटी जाटों के राज्य के विषय में इस प्रकार लिखा है-
"भटनेर जो अब रियासत बीकानेर का भाग है पुराने जमाने में जाटों के दूसरे समूह की राजधानी था। यह जाट ऐसे प्रबल थे, कि उत्थान के समय में बादशाहों का मुकाबला किया और अब आपत्ति आई हाथ सम्भाले। कहा जाता है कि भटनेर का नाम भाटियों से जो कि उनमें अवस्थित हुए थे, भटनेर के जाट भाटी युद्धो से तंग आकर जब मारवाड़ के इलाके में बस गये थे भाटियों के ठिकानेदार(रियासतो के मालिक ) होने के कारन यह थाकन (ठाकन ) नाम से प्रसिद्ध हुए ठाकन गोत्र का इतिहा दौसा जिले में पंडितपुरा (पणतपुरा)गॉव के उनके भाटो से मिला है जो बताते है वो 300 साल पहले मारवाड़ क्षेत्र के गाओं से जोबनेर के रास्ते पंडितपुर पहुचे जहां इनका बाज्या जाटों से युद्ध हुआ और ठाकन जाटों ने गुसाई और बाज्या को हरा के कब्ज़ा जमा लिया और आज भी ठाकन उस वीर ठाकन कि देवता के रूप में पूजा करते जिसके कारन वो युद्ध जीते थे आज इस गाव में बाज्या और गुसाई जाति का एक भी घर नही है बाज्या यहा से कनवाड़ा गाव चले गये और उन गुसाई का एक वंशज मेहदीपुर बालाजी का महंत है
आज भी थाकन जाटों के खेतो में गुसाई और बाज्या जाटों कि छतरिया बनी हुई है तो बहुत प्राचीन है इस गाव से ही ठाकन जाट बाद में अलवर जिले में गये

अकाल के समय में यह भाटी जब हरजीराम भाटी के साथ जैसलमेर के पोकरण से नागौर आ गये और जाट भाटियों कि एक शाखा जो सियाल कोट जाली गयी वो बाज पालने के करना बाजवा नाम से प्रसिद्ध हुई बिज्जी राजपूत बाजवा जाट गोत्र से बने है हरजीराम भाटी के दो बेटे थे । बड़ा कानाजी, छोटा धुणा जी। कानाजी एक संत बन गए,जबकि धुणा जी ने धुणासर गाँव बसाया जो कि आज भी है रामदेवरा से 8 कि. मी. दूर है क्योंकि हरजीराम भाटी हरनावा गाँव बसाया था जो की परबतसर में है । वो जैसलमेर से आये थे पोकरण के पास से जब वहा पर पर अकाल पड़ गया तब उनके गाँव ने मालवा (मंदसोर) जाने जाने की सोची क्योंकी हरजीराम भाटी सरदार थे जब उन्होंने यहाँ पर पानी देखा तो हरनावा गाँव बसाया धुणाजी को अपने पूर्वजो के गाँव देखने की इच्छा हुई तो वो जैसलमेर आये यहा उन्होंने (धुणाजी ने) धुणासर गाँव बसाया । लेकिन कुछ समय बाद हरनावा गाँव आ गये और आज उनका गोत्र धूणा है रानाबाई का जन्म इस ही धूना भाटी गोत्र में हुआ

बाड़मेर में रहे जाट भाटी थाकन नाम से प्रसिद्ध हुए बाद में यह थाकन जाट वहा से मारवाड़ में फ़ैल गये उनके कुछ काफिले मारवाड़ से अलवर दौसा ,,सीकर झुंझनु , जिलो में आकर आबाद हुए
ठाकन (थाकन ) गोत्र के जाटों के कुछ गावं

बाड़मेर जिले में गॉव
कानोड़,कसूंबला भाटियां, रटेऊ ,थाकनों कि ढाणी , सवाऊ मूलराज ,कोलू

जयपुर जिले में गाव
अमरपुरा ,श्रीरामपुरा ,हरमाड़ा

झुंझनु जिले
अणगासर अरड़ावता

नागौर जिले में गाव
बडू,हरनावां ,सूरियास,खाखोली

सीकर जिले में
,मण्डोली ,दन्तुजला

चुरू जिले में
बिरमी पट्टा

दौसा जिले में
पंडितपुरा (पणतपुरा ) ,चक अणतपुरा , लादिया

अलवर जिले
चौलाई का बास , कफनवाड़ा , शीतल का बास

टोंके जिले में
खंडवा

हरियाणा में गॉव
भिवानी जिले में गाव्
मंढ़ाणा , मंढ़ाणा गाव से बना गॉव हरिपुरा में भी ठाकन जाट है
 
साभार :
मानवेन्द्र सिंह तोमर जाट  

9 comments:

  1. https://www.jatjagran.com/rathi-jat-gotra/
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  2. हरियाणा में गॉव
    भिवानी जिले में गाव्
    मंढ़ाणा ,हरियावास . मंढ़ाणा गाव से जाकर बसे कुछ ठाकन जाट परिवार गॉव हरियावास , तहसील लोहारू में भी है .

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  3. हरियाणा में गॉव
    भिवानी जिले में गाव्
    मंढ़ाणा ,हरियावास . मंढ़ाणा गाव से जाकर बसे कुछ ठाकन जाट परिवार गॉव हरियावास , तहसील लोहारू में भी है .

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  4. Thakan or thakran ek hi hai jo gurgaon or delhi me rehte hai

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  5. Jaat Wala mandhana bhiwani haryana

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  6. Kulbir Thakan Mandhana Bhiwani Haryana

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  7. thakan goter village kharal,dist. jind or beri village tahshil uklana(hissar) haryana mai be hai

    thakan or thakran ek hi goter hai jo gurgoan ke aas pass hai

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  8. बाड़मेर के अकदड़ा मे भी थाकण है

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