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Tuesday, December 10, 2013

तू छोरी सै शहर चंडीगढ़ की

तू छोरी सै शहर चंडीगढ़ की...., मेरी गैल
घणी तंग पावेगी....,,
"सरोहा "सै ठेठ जाट...., तू लक्क २८
आली कुकर जाटणी कुहावेगी....,,
तू खावै सै पिज्जे बर्गर...., मेरे खात्रर
चूरमा कित्त तै बनावेगी....,
रहवै सै तू एसी  रूम में...., तू कित्त के खेत
कमावेगी....,
"
सरोहा"नै तो रहना सै अपने गाम में....,
तन्ने गाम की हवा कुकर भावेगी....,
यु छोरा तो पहरे सै कुड़ता पजामा....,
तू कित्त के लूज़र  नेर्र फसावेगी....,
तू छोरी सै शहर चंडीगढ़ की मेरी गैल
घंणी तंग पावेगी....,
तू कर्रे किट्टी पार्टी...., तन्ने चौपाल
क्यूकर सहुवावेगी....
मैं खाऊं देशी घी सारी हाण.... तू
आपने फिगर कहन लखावेगी....
तू चाले गाडी होंडा एकॉर्ड
में....''
सरोहा''गैल झोटा बुग्गी में क्यूकर
धूप सहुवावेगी....
मैं यारा का सूं यार कसूत.... मेरी बाट
मैं क्यूकर गाल कहान लखावेगी....
तू छोरी सै चंडीगढ़ शहर की तन्ने आदत
डिस्को बार की.... क्यूकर
रागनी सहुवावेगी....
मन्ने आदत आशीर्वाद कमान की.... तू
क्यूकर मां के पां दबावेगी....
तू छोरी सै चंडीगढ़ शहर की.... मैं तडके
तडक ऊठूं सूं ४ बजे....,
फेर अखाड़े में जाऊ सूं.... उड़े तै आ के फेर
खेत कमा के लाऊ सूं....
तू बेशक गात तोड़े सै ज़िम  में.... तू क्यूकर
न्यार पाड़ के ल्यावेगी....
...
तू यूज़  करै माइक्रोवेव .... क्यूकर चूल्हे पे
खाना बनावेगी....
तू क्यूकर गोबर ठावेगी, तन्ने
खाया निरा डालडा घी....
देसी घी क्यूकर ओट पावेगी.....
तू चश्मे लावे घाम्म में क्यूकर तन्ने धूल
सहुवावेगी....
तन्ने आदत महल अटारी की.... मेरे काचे
घर में क्यूकर शबर कर पावेगी....
तू छोरी सै चंडीगढ़ शहर की..... तू जावै
अंग्रेजी टायलेट  में.... क्यूकर खेत मैं घूमन
जावेगी....
तू लावे लाली पावडर सै.... बिन मेक्
अप क्यूकर थम ज्यावेगी....
तू छोरी सै चंडीगढ़ शहर की.... तू
सोयी गद्दे आले बेड पे....
तेरे खाट की ज्योडी गड्ड ज्यावेगी, तू
पीवे लिम्का, वोडका.... देसी म
क्यूकर तान बजावेगी....
तू छोरी सै चंडीगढ़ शहर की.... तन्ने
आदत इंग्लिश गाने की....
तन्ने मोर की पीहू पीहू क्यूकर राश
आवेगी....
....
तू बोले गिटपिट गिटपिट अंग्रेजी....
हरयाणवी कित्त समझ आवेगी....
मैं करू रोज़ राम राम गाम नै.... तेरी हाय्
हेल्लो किस नै समझ आवेगी....
मैं मीठे बोला का लाडदा सूं.... तू
क्यूकर इन्ह ते पेट भर पावेगी....
....
तू छोरी सै चंडीगढ़ शहर की.... तू
जीरो फिगर की तोड़ी हौड.... आड़े
गोलुमोलू सी भावेगी....
किम्मे गात घाल ले बैर्रण तू.... ना मन्ने
घन्नी सुन्न्वावेगी....
तेरा ऊँचा टॉप तेरी लो जीनस  .... तू
मेरी इज्जत के घाह्क ल्वावेगी....
किम्मे सांग नै तेरा कुछ सै ना सवा.... तू
खामखा फ़ालतू मैं घनी गिर्वाव्व्गी...
.
तेरा रहन -सहन, चाल- चलन ना म्हारे
हिसाब का.... तोह क्यूकर बद्दाई सुन्न
पावेगी....
तू छोरी सै चंडीगढ़ शहर की.... तू ६१ -६२
करती चाले से..... गाम में लठ
बजवावेगी....,
ऑल्हे पाले का तने ज्ञान नहीं.... बड़े
बूढ़ा नै नहीं भावेगी...., हेल्लो हाय तै
तेरा काम चले....
क्यूकर माँ-दादी के पां हाथ
लावेगी...., तू छोरी सै चंडीगढ़ शहर
की....!!


साभार :
सरोहा

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