कोई टोपी तो कोई अपनी पगड़ी बेच देताहै
मिले गर भाव अच्छा जज भी कुर्सी बेच देता है
तवाइफ फिर भी अच्छी है के वो सीमित है कोठे तक
पुलिस वाला तो चौराहे पे वर्दी बेच देता है
जला दी जाती है ससुराल मेँ अक्सर वही बेटी
के जिस बेटी की ख़ातिर बाप किडनी बेच देता है
कोई मासूम लड़की प्यार मेँ कुर्बान है जिस पर
बनाकर वीडियो उसकी वो प्रेमी बेच देता है
ये कलयुग है कोई भी चीज़ नामुमकिन नहीँ इसमेँ
कली,फल,पेड़,पौधे , फूल माली बेच देता है
उसे इंसान क्या हैवान कहने में भी शर्म आए
जो पैसोँ के लिए अपनी ही बेटी बेच देता है जुए
बिक गया हूँ में तो,हैरत क्यों है लोगों को
युधिष्ठर तो जुए में अपनी पत्नी बेच देता है"
साभार :
शकुन्या हेमंत
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