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Monday, December 9, 2013

बाप किडनी बेच देता

कोई टोपी तो कोई अपनी पगड़ी बेच देताहै

मिले गर भाव अच्छा जज भी कुर्सी बेच देता है
तवाइफ फिर भी अच्छी है के वो सीमित है कोठे तक

पुलिस वाला तो चौराहे पे वर्दी बेच देता है

जला दी जाती है ससुराल मेँ अक्सर वही बेटी

के जिस बेटी की ख़ातिर बाप किडनी बेच देता है

कोई मासूम लड़की प्यार मेँ कुर्बान है जिस पर

बनाकर वीडियो उसकी वो प्रेमी बेच देता है

ये कलयुग है कोई भी चीज़ नामुमकिन नहीँ इसमेँ

कली,फल,पेड़,पौधे , फूल माली बेच देता है

उसे इंसान क्या हैवान कहने में  भी शर्म आए

जो पैसोँ के लिए अपनी ही बेटी बेच देता है जुए
बिक गया हूँ में  तो,हैरत क्यों  है लोगों  को

युधिष्ठर तो जुए में अपनी पत्नी बेच देता है"
 
साभार :
शकुन्या हेमंत

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