Visitor

Friday, January 3, 2014

इँकलाब जिँदाबाद]

एक शाम देश के असली हिरो के नाम:-
"कोई जर्ऱा नहीँ ऐसा कि जिसमेँ रब नहीँ होता...

लङाई वे हि करते है जिन्हेँ कोई मतलब नहीँ होता....

सदायेँ मस्जिदोँ की जा मिली मँदिर के घँटो से....

वतन से बढकर दूनियाँ मेँ कोई मजहब नहीँ होता..."

[इँकलाब जिँदाबाद]
साभार :
बलवीर घिंथाला
.

No comments:

Post a Comment