जातीवाद का षडयंत्र
---- भाग -2----
7. भारतवर्ष के इतिहास में भारतीय योद्धाओं को उचित स्थान नहीं मिला परन्तु लालची व चाटुकार इतिहासकारों ने मुस्लिम, तुर्क व विदेशी आक्रांताओं,लुटेरों,हत्यारों एवं धोखेबाज अंग्रेजों को अमर बना दिया।
8. मुहम्मद बिन कासिम, महमूद गजनवी,मुहम्मद गौरी,कुतुबद्दीन से लेकर सिकन्दर लोधी,अकबर, शाहजहाँ,औरंगजेब एवम् बहादुरशाह जफर और लार्ड क्लाइव से लेकर लार्ड केंनिग एवम् लार्ड मॉन्टबेटन तक भारतीय इतिहास में अमर हो गए।
9. वास्तव में भारत में एक हजार वर्षों तक केवल अत्याचार व अत्याचारी थे। लूटपाट,व्यभिचार एवम् नरसंहार करते हुए विदेशी अरब मुस्लिम व तुर्क हत्यारे थे।
10. देशभक्त और स्वाभिमानी भारतवासियों को गजनवी के लूटपाट,व्यभिचार एवम् हत्याओं जैसे कुकृत्यों में पांच लाख(सभी जातियों से) से अधिक उन माँ-बहनों की चीत्कार आज भी सुनाई देती है,जिन्हें वह मुस्लिम अत्याचारी गुलाम बनाकर यहाँ से ले गया और अरब की गलियों एवम सड़कों पर सब्जियों की तरह मण्डी लगाकर कोड़ियों के मोल नीलाम किया था। बहन बेटी के देहावसान को सहन किया जा सकता है, किन्तु मुस्लिम आक्रांताओं के चंगुल में फंसकर जीते जी माँ बाप एवं भाइयों से अलग हुयी उन अभागी बहन बेटियों की चीत्कार को भारत एवं भारतवासियों ने कैसे सहन किया होगा??
11. भारत की निरीह प्रजा पर बलपूर्वक नियंत्रण करके मुस्लिम अत्याचारियों व अंग्रेजों द्वारा उनके उत्पीड़न एवं उन पर किये गए भयानक अत्याचार, भीषण नरसंहार तथा व्यभिचार को भारत के इतिहास में स्थान देना क्या सर्वथा अनुचित नहीं था?? क्या ये हम लोगों को सिर्फ और सिर्फ अपमानित करने के लिए नहीं लिखा गया?? इससे अच्छा होता वे ये लिख देते की भारत में एक हजार वर्षों की काली रात्रि थी,जिसे इतिहास ही न माना जाये। भारत के एक हजार वर्षों की भयानक काली रात्रि की दुखद सत्यकथा को स्वर्णिम इतिहास दिखा कर लिखना मानवीय मापदण्डों के विस्मृति का जीवंत उदाहरण है।
12. स्त्रियों से दुष्कर्म करके उन्हें दास बनाकर अरब भेज दिया जाता। पुरुषों को इस्लाम स्वीकार कराने हेतु बल प्रयुक्त होता, जो मुस्लिम बन गए उन्हें राजाश्रय एवं सहयोग मिला।
जो अपना धर्म त्याग न सके उनके स्वाभिमान को नष्ट करने हेतु बलपूर्वक उन्हें अस्वच्छ,निम्न तथा मैला ढोने और चर्म-कर्म में लगाकर मुस्लिम शासको ने हर प्रकार से दमन एवं दलन करके उन्हें दलित बनाकर उनसे प्रचण्ड बदला लिया और अपने व्यक्तिगत आक्रोश और खीज को शांत किया।
13. यहाँ तक की ब्राह्मण एवं क्षत्रियों को भी उनसे भीषण संघर्ष में हारने के बाद उन्हें इस्लाम या मैला ढोने में से एक को चुनना होता था। क्योंकि ये युद्ध जरूर करते थे, इसलिए असंख्य ब्राह्मणों और क्षत्रियों को भी जबरन दलित बनाया गया। आज बहुत से दलितों के गोत्र ब्राह्मणों और क्षत्रियों के गोत्र से मिलते हैं, इसका यही कारण है। ये लोग मूलतः क्षत्रिय या ब्राह्मण ही हैं जो कुछ सौ साल पहले जबरदस्ती दलित बना दिए गए।
एक उदाहरण-- चौहान गोत्र राजपूतों का गोत्र है पर बहुत से वाल्मीकि भाइयों का भी है। ये युद्ध हारने के बाद जबरदस्ती राजपूत से (इस्लाम स्वीकार न करने की सजा के फलस्वरूप) दलित बनाये गए।
14. चूँकि मुस्लिम शासन एवं सत्ता में थे, इसलिए बलपूर्वक प्रचण्ड सामाजिक,आर्थिक एवं राजवंशीय उत्पीड़न के उपरांत दमन एवं दलन (नष्ट-भ्रष्ट) करके दलित की पहचान दी गयी।उपरोक्त वजहों से ही भारत में मुस्लिमों के आने से पहले जो शुद्र/दलित सिर्फ 1% थे, मुस्लिम काल समाप्त होते होते लगभग 15% हो गए।
7. भारतवर्ष के इतिहास में भारतीय योद्धाओं को उचित स्थान नहीं मिला परन्तु लालची व चाटुकार इतिहासकारों ने मुस्लिम, तुर्क व विदेशी आक्रांताओं,लुटेरों,हत्यारों एवं धोखेबाज अंग्रेजों को अमर बना दिया।
8. मुहम्मद बिन कासिम, महमूद गजनवी,मुहम्मद गौरी,कुतुबद्दीन से लेकर सिकन्दर लोधी,अकबर, शाहजहाँ,औरंगजेब एवम् बहादुरशाह जफर और लार्ड क्लाइव से लेकर लार्ड केंनिग एवम् लार्ड मॉन्टबेटन तक भारतीय इतिहास में अमर हो गए।
9. वास्तव में भारत में एक हजार वर्षों तक केवल अत्याचार व अत्याचारी थे। लूटपाट,व्यभिचार एवम् नरसंहार करते हुए विदेशी अरब मुस्लिम व तुर्क हत्यारे थे।
10. देशभक्त और स्वाभिमानी भारतवासियों को गजनवी के लूटपाट,व्यभिचार एवम् हत्याओं जैसे कुकृत्यों में पांच लाख(सभी जातियों से) से अधिक उन माँ-बहनों की चीत्कार आज भी सुनाई देती है,जिन्हें वह मुस्लिम अत्याचारी गुलाम बनाकर यहाँ से ले गया और अरब की गलियों एवम सड़कों पर सब्जियों की तरह मण्डी लगाकर कोड़ियों के मोल नीलाम किया था। बहन बेटी के देहावसान को सहन किया जा सकता है, किन्तु मुस्लिम आक्रांताओं के चंगुल में फंसकर जीते जी माँ बाप एवं भाइयों से अलग हुयी उन अभागी बहन बेटियों की चीत्कार को भारत एवं भारतवासियों ने कैसे सहन किया होगा??
11. भारत की निरीह प्रजा पर बलपूर्वक नियंत्रण करके मुस्लिम अत्याचारियों व अंग्रेजों द्वारा उनके उत्पीड़न एवं उन पर किये गए भयानक अत्याचार, भीषण नरसंहार तथा व्यभिचार को भारत के इतिहास में स्थान देना क्या सर्वथा अनुचित नहीं था?? क्या ये हम लोगों को सिर्फ और सिर्फ अपमानित करने के लिए नहीं लिखा गया?? इससे अच्छा होता वे ये लिख देते की भारत में एक हजार वर्षों की काली रात्रि थी,जिसे इतिहास ही न माना जाये। भारत के एक हजार वर्षों की भयानक काली रात्रि की दुखद सत्यकथा को स्वर्णिम इतिहास दिखा कर लिखना मानवीय मापदण्डों के विस्मृति का जीवंत उदाहरण है।
12. स्त्रियों से दुष्कर्म करके उन्हें दास बनाकर अरब भेज दिया जाता। पुरुषों को इस्लाम स्वीकार कराने हेतु बल प्रयुक्त होता, जो मुस्लिम बन गए उन्हें राजाश्रय एवं सहयोग मिला।
जो अपना धर्म त्याग न सके उनके स्वाभिमान को नष्ट करने हेतु बलपूर्वक उन्हें अस्वच्छ,निम्न तथा मैला ढोने और चर्म-कर्म में लगाकर मुस्लिम शासको ने हर प्रकार से दमन एवं दलन करके उन्हें दलित बनाकर उनसे प्रचण्ड बदला लिया और अपने व्यक्तिगत आक्रोश और खीज को शांत किया।
13. यहाँ तक की ब्राह्मण एवं क्षत्रियों को भी उनसे भीषण संघर्ष में हारने के बाद उन्हें इस्लाम या मैला ढोने में से एक को चुनना होता था। क्योंकि ये युद्ध जरूर करते थे, इसलिए असंख्य ब्राह्मणों और क्षत्रियों को भी जबरन दलित बनाया गया। आज बहुत से दलितों के गोत्र ब्राह्मणों और क्षत्रियों के गोत्र से मिलते हैं, इसका यही कारण है। ये लोग मूलतः क्षत्रिय या ब्राह्मण ही हैं जो कुछ सौ साल पहले जबरदस्ती दलित बना दिए गए।
एक उदाहरण-- चौहान गोत्र राजपूतों का गोत्र है पर बहुत से वाल्मीकि भाइयों का भी है। ये युद्ध हारने के बाद जबरदस्ती राजपूत से (इस्लाम स्वीकार न करने की सजा के फलस्वरूप) दलित बनाये गए।
14. चूँकि मुस्लिम शासन एवं सत्ता में थे, इसलिए बलपूर्वक प्रचण्ड सामाजिक,आर्थिक एवं राजवंशीय उत्पीड़न के उपरांत दमन एवं दलन (नष्ट-भ्रष्ट) करके दलित की पहचान दी गयी।उपरोक्त वजहों से ही भारत में मुस्लिमों के आने से पहले जो शुद्र/दलित सिर्फ 1% थे, मुस्लिम काल समाप्त होते होते लगभग 15% हो गए।
क्रमशः (शेष कल)
हरदीप सूरा बुगाना
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