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Monday, January 23, 2017

سچی میں


سچی میں

زندگی بھی کمال کا ہے
ڈگر بھی تو کمال ہے
بچہ اس سسار میں آتا ہے
خاندان ڈھیروں خوشیاں منا
واہیات خرچ کر دنیا کو لگتا ہے
بچے کو ڈنگ رکھنا درست نہیں سکھاتا
گندگی اور باغبانی میں فرق نہیں سكھلاتا ہے


                                                                                                                                                               ننھے کو گرد کے ذرات سے كھچتا جاتا ہے
ماں باپ کی خدمت کا جذبہ ٹھكراتا ہے
عمر ماں باپ کو کونے میں نكارتا ہے
ان تمام گھٹ چھاؤں کو بھول جاتا ہے
ماں نے خالی پیٹ رہ تیرا جھےد بھرا ہوا ہے
بڑھاپے میں عمر آشرم پٹک آتا ہے
لگاي ساتھ داد نکالتا ہے
خود کا بھی ٹےم آیا ہے



                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                     سچی میں
اس لاٹھی شور نہیں کرتی
کہانی پھر سے اعادہ
زندگی لیلا یونہی نہیں كرهاتي

Sunday, January 22, 2017

देर ना हो जाए

चुनाव के चक्कर में अभी जाट बंधू जो यूपी  में सक्रिय  हैं। पार्टी विशेष के ख़िलाफ़  प्रवचन,पार्टी विशेष की समर्थन में दौड़  धूप। जब चुनाव आएंगे निज़ी  स्वार्थ को हावी कर सारी बाकली खिंडाकी  फारिक  हो जायेंगे।  यदि कौम के लिए  खड़ा होना है तो दिल  से जुड़ना होगा।  कौमी भाव जागृत  कर आगे बढ़ने की आवश्यकता है  तथा सारे मोती  एक़  धागे में पिरोकर आगे बढ़ना होगा जिससे माला का स्वरुप भी अच्छा लगे। उस माला की कीमत भी जभी  होगी जब एक मज़बूत माला होगी।
निज़ी  स्वार्थ तज्य कर कौमी एकता भाव से आगे बढ़ना होगा।  एक दूसरे की टाँग  खिंचाई  से बचना होगा। कहीं ऐसा न हो सारा ज़ोर  अब लगा दें  और टेम पर कीली काढ़ जा।

राजनितिक पार्टी शातिर हैं क्लाइव ल्योड  वाली थ्योरी लगाकर  गोटी फ़िट   कर देतीं  हैं।  समय है  संभल जा।
कहीं देर ना  हो जाए  कहीं ..... 

Saturday, January 21, 2017

सच्ची में

सच्ची में 

जीवन भी कमाल का है
डगर भी तो  कमाल की है
बच्चा इस सँसार  में आता  है
परिवार  ढेरों  खुशिया  मनाता  है
वाहियात खर्च कर दुनिया को दिखता है
बच्चे को डंग रखना सही नहीं सिखाता है
गंदगी और बागवानी में फ़र्क़ नहीं सिखलाता है
नन्हें  को गर्द  के चश्में  से खिंचता चला जाता है
माँ  बाप   की   सेवा   का   भाव   ठुकराता   है
वृद्ध  माँ  बाप  को   कोने   में   नकारता    है
उनकी सभी  धुप  छाँव  को भूल  जाता  है
माँ ने खाली  पेट रह तेरा  झेद  भरा  है
बुढ़ापे  में वृद्ध  आश्रम पटक आता है
लुगाई  संग  दाणद  निकालता है
खुद  का  भी   टेम  आया है

 सच्ची में 
उसकी  लाठी शोर नहीं करती
कहानी फिर से दोहराती
जीवन लीला योंही  नहीं करहाती 

Friday, January 20, 2017

जाटसेना का अगला संस्करण

जाटसेना का अगला संस्करण 23  जनवरी  से उपलब्ध रहेगा। इच्छुक सुधिजन अपनी प्रति मंगवा सकते हैं। अपने विचार हमें अवश्य भेजिएगा। 

ज़ालिम ज़माना

बड़ा       ज़ालिम    है    ज़माना
नहीं है इस बात से कोई भी अनजाना

मदहोश हैं  सभी इस मयखाने  में
होश में भी कह देते बाते अनजाने  में

भाई को भाई चूतड़ो  पर गोली मारने को तैयार
जिनसे लेना देना नहीं उन्हें बनाएं राखै  यार

बकरों  की औलाद को घी का रखवाला बना बैठे
अपनों का ही सुख तबियत से ऐंठे

नाना तरतीब निकाली इस संसार में
अपने  आप उलझ गए जंजाल में


अब समय का खेल देखो 

माँ   बाप   होते   फिरे   दुखी
                            एक गाड़ी  बालक ज़ाम राखै
आगे वह औलाद रह पायेगी सुखी
                            खिड़की से बूढ़ा  बूढ़ी  झाँके
पहले   पाले  खा  के  रूखी सूखी
                             अब तरकारी पड़ी ही बांसे
हर्ज़ मर्ज़ ओट  की आन बान  रखी
                             छोटी सी आफ़त  से हांफै
'हरपाल' पूली  आँधी  तै  बचा की राखी
                             फुसका ने ठान मैं खाँसे।






Wednesday, January 18, 2017

कोई सानी नहीं

जाटों  का गुरूर
जाटों  की दयाभावना
जाटों  की क्षमा शक्ति

का
कोई सानी  नहीं।

जाटों  सी हिम्मत
जाटों  की वफ़ा
जाटों  की  सिरडी

का
कोई सानी  नहीं।

जाटों का शौर्य
जाटों  का धैर्य
जाटों  का दबँग

का
कोई सानी नहीं।    

Tuesday, January 17, 2017

अखरती है क्या

घर पर शांति क्षेत्र में क्रांति व्यवहार में कांति विचारों में भ्रान्ति

अखरती है क्या ?


Tuesday, January 10, 2017

जाटसेना अगला संस्करण

जाटसेना समाचार पत्र  का अगला  संस्करण शीघ्र आने वाला है। अपनी प्रति बुक करायें।
आप के सुझाव , लेख आदि आमंत्रित हैं। 

Monday, January 9, 2017

राजा नाहर सिंह(1823ई.-1858ई.)



1857 के महाविप्लव के महानायक !
हिंदुस्तान की आजादी के पहले शंखनाद, 1857 के गदर के वक्त दिल्ली की जड़ में, अंग्रेजों की नाक के नीचे, अंग्रेजों के विरुद्ध ही मोर्चा लगाने वाला शेर-दिल वीर, जिसने 132 दिन तक दिल्ली को अंग्रेजों से आजाद रखा....तेवतिया गौत्र के जाट राजा नाहर सिंह थे, जो दिल्ली से मात्र 32 किमी दूर जीटी रोड़ पर वर्तमान फरीदाबाद जिले में स्थित बल्लभगढ़ के शासक थे....1857 के संग्राम में मुगल बादशाह ने दिल्ली की कमान इसी जाट वीर को सौंपी थी, और इनके रहते अंग्रेज दिल्ली पर कब्जा करने की सोचने से भी डरते थे...."बल्लभगढ़ में कोई भी अंग्रेज प्रवेश नहीं करेगा; उस दौर में ऐसा फरमान निकालने के लिये शेर का कलेजा चाहिये था...और यह जिगर किसी जाट में ही हो सकता था, वह जाट थे--बल्लभगढ़ के राजा नाहर सिंह....जिन्होंने घोषणा की, कि "गोरे हमारे दुश्मन हैं, इनको देश से बाहर निकालना जरुरी है.... जब आमने-सामने की लड़ाई में अंग्रेज उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाये तो अंग्रेजों ने छल-कपट, धोखे का सहारा लिया, जिसके लिये गोरे कुख्यात रहे हैं... और भोला-भाला जाट कभी दुश्मनों की चाल, उनके छल-कपट को समझ नहीं पाया, सदियों से धोखा खाना ही जैसे उसकी नियति रही है....यहाँ भी वही हुआ...राजा नाहर सिंह को मुगल बादशाह के साथ अंग्रेजों की संधि-वार्ता में मध्यस्थ की भूमिका निभाने की आड़ में शांति के प्रतीक सफेद झंडे दिखाकर बुलाया गया और धोखे से सोते समय उनकों बंदी बना लिया गया, जो अंग्रेजों की निहायत कायराना हरकत थी...राजा को बहुत प्रलोभन दिये गये ताकि वो अंग्रेजों से संधि कर लें....बस इसके लिये उनको अंग्रेजों के सामने थोडा झुकना होगा, माफी मांगनी होगी.....लेकिन खुद्दार जाट वीर को यह कैसे गवारा होता...वह वीर तो बना ही उस फौलाद का था, जो टूट सकती थी, पर झुकना तो जैसे जाना ही नहीं था...और उन्होंने समर्पण से साफ इनकार कर दिया...उन्होंने कहा कि "मेरी शहादत बेकार नहीं जायेगी, इससे भारत माँ के सैकड़ों नाहर सिंह जन्म लेंगे, जो एक दिन देश की आजादी के काम को अंजाम तक ले जायेंगे ".... और अंततः 9 जनवरी 1858 को चाँदनी चौक में इस जाट वीर ने मातृभूमि की आजादी का सपना दिल में सँजोये, हँसते हुए फाँसी के तख्ते पर झूलकर भारत माता का अपने रक्त से अभिषेक किया और एक महान् मकसद की खातिर 35 बरस की कम उम्र में ही वे मरकर भी अमर हो गये ! फाँसी के तख्ते पर इन्होंने अपने अंतिम सन्देश में देश के नौजवानों से कहा था कि " मैं तुम्हारे अंदर एक चिंगारी पैदा करके जा रहा हूँ, इसको जलाये रखना, देखना कहीं यह आग बुझ ना जाये....अब वतन की इज्जत तुम्हारे हवाले है"....अंग्रेज इस जाट वीर से, इसके मरने के बाद भी, इतने खौफजदा थे कि फाँसी देने के बाद भी इनकी पार्थिव देह अंतिम संस्कार के लिये उनके परिजनों को नहीं सौंपी गई, अंततः राजपरिवार के पुरोहित को उनके पुतले का ही गंगाजी में प्रतीकात्मक अंतिम संस्कार कराना पड़ा..... यह बात विचारणीय है कि 1857 के महासंग्राम के इस महानायक को इतिहास में वह जगह क्यों नहीं मिली, जिसके वे हकदार थे...चाहते तो वे भी रानी लक्ष्मीबाई और राव तुलाराम की तरह अंग्रेजों से माफी मांग लेते....चाहते तो ऐश-ओ-आराम की जिंदगी जी सकते थे....पर उनको यह गवारा न था...फिर भी, जहाँ एक ओर लक्ष्मीबाई जैसों को सर-आँखों पर बैठाकर महानायक की तरह महिमामंडित किया गया, जबकि वे इसके पात्र ही नहीं थे...तो दूसरी ओर राजा नाहर सिंह जैसे इसके असली हक़दार लगभग गुमनामी के अंधेरों में ही खोकर रह गये.... इस शोचनीय हालात के लिये मैं दूसरों से ज्यादा, जाटों को ही जिम्मेदार मानता हूँ, जो प्रायः अपनी विरासत, अपने महापुरुषों, अपने इतिहास के प्रति उपेक्षा और उदासीनता की मानसिकता रखते आये हैं....ऐसे में दूसरों को तो दोष ही क्या दें...और क्यों दें...??? शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले ! वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा !! आज उनकी जयंती पर शत्-शत् नमन् !!!
पगड़ी सम्भाल जट्टा 
दुश्मन पहचान जट्टा
साभार  पुनीत लाकरा  भाई जी 
दिनेश बैनीवाल ( जाटिज्म वाला जट्टा)

प्रस्तुति :
आज़ाद देवी चौधरी 
राष्ट्रीय अध्यक्षा  अखिल भारतीय आदर्श जाट महासभा 
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राजा नाहर सिंह(1823ई.-1858ई.)







Friday, January 6, 2017

महासभा की कार्यकारिणी की बैठक


महासभा की कार्यकारिणी की  बैठक 

सूबे सिंह चौधरी को महासभा का प्रदेश अध्यक्ष


अखिल भारतीय आदर्श जाट महासभा  की राजस्थान इकाई  के नव नियुक्त  प्रदेश अध्यक्ष  सूबे सिंह चौधरी सा  को बैठक में  प्रस्तुत जाट महानुभवों  ने सर्वसम्मति  से  नियुक्त  किया।

5  जनवरी  को अज़मेर   में  पत्रकारों  से संवाद करते हुए अखिल भारतीय आदर्श जाट महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता दीपक राठी  ने कहा की राजस्थान में अगले विधानसभा चुनाव में जाट को मुख्यमंत्री बनाना चाहिए।
जाटों   को एक साथ संगठीत  होकर उसी दल  का समर्थन करें जो जाट  को मुख्यमंत्री  बनाने की घोषणा करे। कार्यकारिणी का भी गठन किया गया।   श्री रामसरुप चौधरी  व  यतेन्द्र  शास्त्री  को महामंत्री , विजय पाल  चौधरी  को छात्र संघ का प्रदेश अध्यक्ष ,अमरचंद आबसरा  को उपाध्यक्ष  व शंकर लाल चौधरी ,मुकेश लामरोड ,रामकिशोर खदाव ,ओमप्रकाश  चौधरी ,नरेश चौधरी  आदि को कार्यकारिणी का सदस्य नियुक्त किया। नव  नियुक्त प्रदेश अध्यक्ष ने कहा की समाज को संगठीत  करेंगे तथा  सामाजिक बुराईयों  को दूर करने की लिए प्रयासरत रहेंगें।

जासे समाचार